हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री। कैं कहुं काज किया संतन का। कैं कहुं गैल भुलावना॥ हे मेरो मनमोहना। कहा करूं कित जाऊं मेरी सजनी। लाग्यो है बिरह सतावना॥ हे मेरो मनमोहना॥ मीरा दासी दरसण प्यासी। हरि-चरणां चित लावना॥ हे मेरो मनमोहना॥
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स्याम मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला चाकर राखो जी / मीराबाई
स्याम मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला चाकर राखो जी। चाकर रहसूं बाग लगासूं नित उठ दरसण पासूं। बिंद्राबन की कुंजगलिन में तेरी लीला गासूं॥ चाकरी में दरसण पाऊं सुमिरण पाऊं खरची। भाव भगति जागीरी पाऊं तीनूं बाता सरसी॥ मोर मुकुट पीतांबर सोहै गल बैजंती माला। बिंद्राबन में धेनु चरावे मोहन मुरलीवाला॥ हरे हरे नित… Continue reading स्याम मने चाकर राखो जी गिरधारी लाला चाकर राखो जी / मीराबाई
मैं गिरधर के घर जाऊं / मीराबाई
मैं गिरधर के घर जाऊं। गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊं॥ रैण पड़ै तबही उठ जाऊं भोर भये उठि आऊं। रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त।ह्यूं ताहि रिझाऊं॥ जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊं। मेरी उणकी प्रीति पुराणी उण बिन पल न रहाऊं। जहां बैठावें तितही बैठूं बेचै तो बिक जाऊं।… Continue reading मैं गिरधर के घर जाऊं / मीराबाई
तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन हो मीरा चली / मीराबाई
रोकणहार मगन हो मीरा चली॥ लाज सरम कुल की मरजादा सिरसै दूर करी। मान-अपमान दो धर पटके निकसी ग्यान गली॥ ऊंची अटरिया लाल किंवड़िया निरगुण-सेज बिछी। पंचरंगी झालर सुभ सोहै फूलन फूल कली। बाजूबंद कडूला सोहै सिंदूर मांग भरी। सुमिरण थाल हाथ में लीन्हों सौभा अधिक खरी॥ सेज सुखमणा मीरा सौहै सुभ है आज घरी।… Continue reading तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन हो मीरा चली / मीराबाई
राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी / मीराबाई
राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी म्हे तो गोविन्दरा गुण गास्यां हे माय॥ राणोजी रूठे तो अपने देश रखासी म्हे तो हरि रूठ्यां रूठे जास्यां हे माय। लोक-लाजकी काण न राखां म्हे तो निर्भय निशान गुरास्यां हे माय। राम नाम की जहाज चलास्यां म्हे तो भवसागर तिर जास्यां हे माय। हरिमंदिर में निरत करास्यां म्हे… Continue reading राणोजी रूठे तो म्हारो कांई करसी / मीराबाई
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको / मीराबाई
आज मोहिं लागे वृन्दावन नीको॥ घर-घर तुलसी ठाकुर सेवा दरसन गोविन्द जी को॥१॥ निरमल नीर बहत जमुना में भोजन दूध दही को। रतन सिंघासण आपु बिराजैं मुकुट धर।ह्यो तुलसी को॥२॥ कुंजन कुंजन फिरत राधिका सबद सुणत मुरली को। मीरा के प्रभु गिरधर नागर भजन बिना नर फीको॥३॥
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी / मीराबाई
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी-नगरी कैसे आऊं मैं तेरी गोकुल नगरी दूर नगरी बड़ी दूर नगरी रात को आऊं कान्हा डर माही लागे दिन को आऊं तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी॥। सखी संग आऊं कान्हा शर्म मोहे लागे अकेली आऊं तो भूल जाऊं तेरी डगरी। दूर नगरी॥॥। धीरे-धीरे चलूं तो कमर मोरी लचके झटपट… Continue reading दूर नगरी बड़ी दूर नगरी / मीराबाई
मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फंदा / मीराबाई
नटवर नागर नन्दा भजो रे मन गोविन्दा श्याम सुन्दर मुख चन्दा भजो रे मन गोविन्दा। तू ही नटवर तू ही नागर तू ही बाल मुकुन्दा सब देवन में कृष्ण बड़े हैं ज्यूं तारा बिच चंदा। सब सखियन में राधा जी बड़ी हैं ज्यूं नदियन बिच गंगा ध्रुव तारे प्रहलाद उबारे नरसिंह रूप धरता। कालीदह में… Continue reading मीरा के प्रभु गिरधर नागर काटो जम का फंदा / मीराबाई
मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज / मीराबाई
अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज। समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥ भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज। गिरधारां आधार जगत गुरु तुम बिन होय अकाज॥ जुग जुग भीर हरी भगतन की दीनी मोक्ष समाज। मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज॥
मोहन गिरवरधारी को म्हारो प्रणाम / मीराबाई
म्हारो प्रणाम बांकेबिहारीको। मोर मुकुट माथे तिलक बिराजे। कुण्डल अलका कारीको म्हारो प्रणाम॥ अधर मधुर कर बंसी बजावै। रीझ रीझौ राधाप्यारीको म्हारो प्रणाम॥ यह छबि देख मगन भ मीरा। मोहन गिरवरधारीको म्हारो प्रणाम॥