भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा (कविता) / कुमार विश्वास

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा कभी कोई जो खुलकर हंस लिया दो पल तो हंगामा कोई ख़्वाबों में आकर बस लिया दो पल तो हंगामा… Continue reading भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा (कविता) / कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है (कविता) / कुमार विश्वास

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ! मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !! मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है ! ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !! मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है ! कभी कबिरा दीवाना था… Continue reading कोई दीवाना कहता है (कविता) / कुमार विश्वास