मै तुम्हे अधिकार दूँगा / कुमार विश्वास

मैं तुम्हें अधिकार दूँगा एक अनसूंघे सुमन की गन्ध सा मैं अपरिमित प्यार दूँगा मैं तुम्हें अधिकार दूँगा सत्य मेरे जानने का गीत अपने मानने का कुछ सजल भ्रम पालने का मैं सबल आधार दूँगा मैं तुम्हे अधिकार दूँगा ईश को देती चुनौती, वारती शत-स्वर्ण मोती अर्चना की शुभ्र ज्योति मैं तुम्हीं पर वार दूँगा… Continue reading मै तुम्हे अधिकार दूँगा / कुमार विश्वास

मै तुम्हे ढूंढने / कुमार विश्वास

मैं तुम्हें ढूँढने स्वर्ग के द्वार तक रोज आता रहा, रोज जाता रहा तुम ग़ज़ल बन गई, गीत में ढल गई मंच से में तुम्हें गुनगुनाता रहा जिन्दगी के सभी रास्ते एक थे सबकी मंजिल तुम्हारे चयन तक गई अप्रकाशित रहे पीर के उपनिषद् मन की गोपन कथाएँ नयन तक रहीं प्राण के पृष्ठ पर… Continue reading मै तुम्हे ढूंढने / कुमार विश्वास

मै कवि हूँ / कुमार विश्वास

सम्बन्धों को अनुबन्धों को परिभाषाएँ देनी होंगी होठों के संग नयनों को कुछ भाषाएँ देनी होंगी हर विवश आँख के आँसू को यूँ ही हँस हँस पीना होगा मै कवि हूँ जब तक पीड़ा है तब तक मुझको जीना होगा मनमोहन के आकर्षण मे भूली भटकी राधाओं की हर अभिशापित वैदेही को पथ मे मिलती… Continue reading मै कवि हूँ / कुमार विश्वास

बादडियो गगरिया भर दे / कुमार विश्वास

बादड़ियो गगरिया भर दे बादड़ियो गगरिया भर दे प्यासे तन-मन-जीवन को इस बार तो तू तर कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे अंबर से अमृत बरसे तू बैठ महल मे तरसे प्यासा ही मर जाएगा बाहर तो आजा घर से इस बार समन्दर अपना बूँदों के हवाले कर दे बादड़ियो गगरिया भर दे सबकी अरदास… Continue reading बादडियो गगरिया भर दे / कुमार विश्वास

सूरज पर प्रतिबंध अनेकों / कुमार विश्वास

सूरज पर प्रतिबंध अनेकों और भरोसा रातों पर नयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर हमने जीवन की चौसर पर दाँव लगाए आँसू वाले कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन मौके देखे बदले पाले हम शंकित सच पा अपने, वे मुग्ध स्वयं की घातों पर नयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी… Continue reading सूरज पर प्रतिबंध अनेकों / कुमार विश्वास

उनकी ख़ैरो-ख़बर नही मिलती / कुमार विश्वास

उनकी ख़ैरो-ख़बर नही मिलती हमको ही खासकर नही मिलती शायरी को नज़र नही मिलती मुझको तू ही अगर नही मिलती रूह मे, दिल में, जिस्म में, दुनिया ढूंढता हूँ मगर नही मिलती लोग कहते हैं रुह बिकती है मै जिधर हूँ उधर नही मिलती

आना तुम / कुमार विश्वास

आना तुम मेरे घर अधरों पर हास लिये तन-मन की धरती पर झर-झर-झर-झर-झरना साँसों मे प्रश्नों का आकुल आकाश लिये तुमको पथ में कुछ मर्यादाएँ रोकेंगी जानी-अनजानी सौ बाधाएँ रोकेंगी लेकिन तुम चन्दन सी, सुरभित कस्तूरी सी पावस की रिमझिम सी, मादक मजबूरी सी सारी बाधाएँ तज, बल खाती नदिया बन मेरे तट आना एक… Continue reading आना तुम / कुमार विश्वास

मेरे पहले प्यार / कुमार विश्वास

ओ प्रीत भरे संगीत भरे! ओ मेरे पहले प्यार! मुझे तू याद न आया कर ओ शक्ति भरे अनुरक्ति भरे! नस-नस के पहले ज्वार! मुझे तू याद न आया कर। पावस की प्रथम फुहारों से जिसने मुझको कुछ बोल दिये मेरे आँसु मुस्कानों की कीमत पर जिसने तोल दिये जिसने अहसास दिया मुझको मै अम्बर… Continue reading मेरे पहले प्यार / कुमार विश्वास

मुक्तक / कुमार विश्वास

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1|| जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है, जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको… Continue reading मुक्तक / कुमार विश्वास

बाँसुरी चली आओ / कुमार विश्वास

तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है तीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी है रात की उदासी को याद संग खेला है कुछ गलत ना… Continue reading बाँसुरी चली आओ / कुमार विश्वास