ये क्या है, जो मानता नहीं समझता नहीं समझना चाहता नहीं कुछ कहता नहीं कुछ कहना चाहता नहीं। तुम इसे गफ़लत का नाम दो मैं इसे मतलब का । तुम्हारा समर्पण, निष्ठा कहीं मेरे स्वार्थ के शिकार तो नहीं तुम्हारी अटूट श्रद्धा ने मुझे न जाने क्या समझा है लेकिन मैं अन्दर तक जब भी… Continue reading मर्यादा का मुखौटा / ईश्वर दत्त माथुर