नए नज़ारे / इंदिरा परमार

नए साल के नए नज़ारे! घर से निकलो, बाहर आओ कदम मिलाकर नाचो-गाओ, पहला दिन है नए साल का आसमान में खूब उड़ाओ- भैया खुशियों के गुब्बारे! जो भी मिले प्यार बरसाओ रूठा हो तो उसे मनाओ, अगला-पिछला बैर भुलाकर बढ़ो साथियो, हाथ मिलाओ- रिश्ते फले फलें हमारे! हम बच्चों का यह कहना है हमको… Continue reading नए नज़ारे / इंदिरा परमार