१) इन्क़िलाब आया, नई [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”दुनिया”]दुन्याह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] , नया हंगामा है शाहनामा हो चुका, अब दौरे गांधीनामा है। दीद के क़ाबिल अब उस उल्लू का फ़ख्रो नाज़ है जिस से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पश्चिम, संदर्भ की द़ष्टि से अंग्रेज़ या अंग्रेजी सरकार।”]मग़रिब[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] ने कहा तू ऑनरेरी बाज़ है। है क्षत्री भी चुप न पट्टा न बांक है पूरी… Continue reading गांधीनामा / अकबर इलाहाबादी
Category: Hindi-Urdu Poets
अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़
अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और उस [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”ऐसी गली, जहाँ व्यंग्य किया जाता हो”]कू-ए-मलामत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] में गुजरते कोई दिन और रातों के तेरी यादों के [ithoughts_tooltip_glossary-glossary slug=”%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b6%e0%a5%80%e0%a4%a6″]खुर्शीद[/ithoughts_tooltip_glossary-glossary] उभरते आँखों में सितारे से उभरते कोई दिन और हमने तुझे देखा तो किसी और को ना देखा ए काश तेरे बाद गुजरते कोई… Continue reading अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना / फ़राज़
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना मुझे गुमाँ भी ना हो और तुम बदल जाना ये [ithoughts_tooltip_glossary-glossary slug=”%e0%a4%b6%e0%a5%8b%e0%a4%b2%e0%a4%97%e0%a5%80″]शोलगी[/ithoughts_tooltip_glossary-glossary] हो बदन की तो क्या किया जाये सो लाजमी है तेरे पैरहन का जल जाना तुम्हीं करो कोई दरमाँ, ये वक्त आ पहुँचा कि अब तो चारागरों का भी हाथ मल जाना अभी अभी… Continue reading जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना / फ़राज़
गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं / फ़राज़
गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं उदास तुम भी हो यारों उदास हम भी हैं फक्त तुमको ही नहीं रंज-ए-चाक दमानी जो सच कहें तो दरीदा लिबास हम भी हैं तुम्हारे बाम की शम्में भी तब्नक नहीं मेरे फलक के सितारे भी ज़र्द ज़र्द से हैं तुम्हें तुम्हारे आइना खाने की ज़न्गालूदा मेरे सुराही… Continue reading गुज़र गए कई मौसम कई रुतें बदलीं / फ़राज़
मैं तो मकतल में भी / फ़राज़
मैं तो मकतल में भी किस्मत का सिकंदर निकला कुर्रा-ए-फाल मेरे नाम का अक्सर निकला था जिन्हे जोम वो दरया भी मुझी मैं डूबे मैं के सहरा नज़र आता था समंदर निकला मैं ने उस जान-ए-बहारां को बुहत याद किया जब कोई फूल मेरी शाख-ए-हुनर पर निकला शहर वल्लों की मोहब्बत का मैं कायल हूँ… Continue reading मैं तो मकतल में भी / फ़राज़
किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे / फ़राज़
किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे, हाय वो रोज़ो-शब के मेरे साथ तुम भी थे यादश बख़ैर अहदे-गुज़िश्ता की सोहबतें, एक दौर था अजब के मेरे साथ तुम भी थे बे-महरी-ए-हयात की शिद्दत के बावजूद, दिल मुतमईन था जब के मेरे साथ तुम भी थे मैं और तकाबिले- ग़मे-दौराँ का हौसला,… Continue reading किस को गुमाँ है अबके मेरे साथ तुम भी थे / फ़राज़
अजब जूनून-ए-मुसाफ़त में घर से निकला था / फ़राज़
अजब जूनून-ए-मुसाफ़त में घर से निकला था, ख़बर नहीं है कि सूरज किधर से निकला था, ये कौन फिर से उन्हीं रास्तों में छोड़ गया, अभी अभी तो अज़ाब-ए-सफ़र से निकला था, ये तीर दिल में मगर बे-सबब नहीं उतरा, कोई तो हर्फ़ लब-ए-चारागर से निकला था, मैं रात टूट के रोया तो चैन से… Continue reading अजब जूनून-ए-मुसाफ़त में घर से निकला था / फ़राज़
जानाँ दिल का शहर नगर अफ़सोस का है / फ़राज़
जानाँ दिल का शहर, नगर अफ़सोस का है तेरा मेरा सारा सफ़र अफ़सोस का है किस चाहत से ज़हरे-तमन्ना माँगा था और अब हाथों में साग़र अफ़सोस का है इक दहलीज पे जाकर दिल ख़ुश होता था अब तो शहर में हर इक दर अफ़सोस का है हमने इश्क़ गुनाह से बरतर जाना था और… Continue reading जानाँ दिल का शहर नगर अफ़सोस का है / फ़राज़
Abr e Bahar Ab Ke Bhee Barsa Parey Parey
Abr e bahar ab ke bhe barsa prey prey Gulshan ujaar ujaar hen jangal harey harey Janey ye tashnagi he hawas he ke khud kushi jaltey hen sham hi se jo saghar bharey bharey Hai dil ki maut ahd e wafa ki shikastagi Phir bhi jo koi tark e mohabbat krey krey Ab apna dil… Continue reading Abr e Bahar Ab Ke Bhee Barsa Parey Parey
फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं / फ़राज़
“फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं मगर क़रार से दिन कट रहे हों यूँ भी नहीं लब-ओ-दहन भी मिला गुफ़्तगू का फ़न भी मिला मगर जो दिल पे गुज़रती है कह सकूँ भी नहीं मेरी ज़ुबाँ की लुक्नत से बदगुमाँ न हो जो तू कहे तो तुझे उम्र भर मिलूँ भी नहीं “फ़राज़”… Continue reading फ़राज़ अब कोई सौदा कोई जुनूँ भी नहीं / फ़राज़