तुम न आए तो क्या [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”प्रात:”]सहर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न हुई हाँ मगर चैन से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”गुज़रना”]बसर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न हुई मेरा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”रोना-धोना, शिकवा”]नाला[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई
Category: Hindi-Urdu Poets
हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के / अमजद इस्लाम
हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के रक्खे थे चराग़ सामने जैसे हवा के रक्खे थे बस एक अश्क-ए-नदामत ने साफ़ कर डाले वो सब हिसाब जो हम ने उठा के रक्खे थे सुमूम-ए-वक़्त ने लहजे को ज़ख़्म ज़ख़्म किया वगरना हम ने क़रीने सबा के रक्खे थे बिखर रहे थे सो हम ने उठा लिए ख़ुद… Continue reading हुज़ूर-ए-यार में हर्फ़ इल्तिजा के / अमजद इस्लाम
एक आज़ार हुई जाती है शोहरत / अमजद इस्लाम
एक आज़ार हुई जाती है शोहरत हम को ख़ुद से मिलने की भी मिलती नहीं फ़ुर्सत हम को रौशनी का ये मुसाफ़िर है रह-ए-जाँ का नहीं अपने साए से भी होने लगी वहशत हम को आँख अब किस से तहय्युर का तमाशा माँगे अपने होने पे भी होती नहीं हैरत हम को अब के उम्मीद… Continue reading एक आज़ार हुई जाती है शोहरत / अमजद इस्लाम
दाम-ए-ख़ुश-बू में गिरफ़्तार सबा / अमजद इस्लाम
दाम-ए-ख़ुश-बू में गिरफ़्तार सबा है कब से लफ़्ज़ इज़हार की उलझन में पड़ा है कब से ऐ कड़ी चुप के दर ओ बाम सजाने वाले मुंतज़िर कोई सर-ए-कोह-ए-निदा है कब से चाँद भी मेरी तरह हुस्न-शनासा निकला उस की दीवार पे हैरान खड़ा है कब से बात करता हूँ तो लफ़्ज़ों से महक आती है… Continue reading दाम-ए-ख़ुश-बू में गिरफ़्तार सबा / अमजद इस्लाम
बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा / अमजद इस्लाम
बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा रह जाएगी बाम ओ दर पे नक़्श तहरीर-ए-हवा रह जाएगी आँसुओं का रिज़्क होंगी बे-नतीजा चाहतें ख़ुश्क होंटों पर लरज़ती इक दुआ रह जाएगी रू-ब-रू मंज़र न हों तो आईने किस काम के हम नहीं होंगे तो दुनिया गर्द-ए-पा रह जाएगी ख़्वाब के नश्शे में झुकती जाएगी चश्म-ए-कमर रात की आँखों… Continue reading बस्तियों में इक सदा-ए-बे-सदा / अमजद इस्लाम
अपने घर की खिड़की से मैं / अमजद इस्लाम
अपने घर की खिड़की से मैं आसमान को देखूँगा जिस पर तेरा नाम लिखा है उस तारे को ढूँढूँगा तुम भी हर शब दिया जला कर पलकों की दहलीज़ पर रखना मैं भी रोज़ इक ख़्वाब तुम्हारे शहर की जानिब भेजूँगा हिज्र के दरिया में तुम पढ़ना लहरों की तहरीरें भी पानी की हर सत्र… Continue reading अपने घर की खिड़की से मैं / अमजद इस्लाम
आईनों में अक्स न हों तो / अमजद इस्लाम
आईनों में अक्स न हों तो हैरत रहती है जैसे ख़ाली आँखों में भी वहशत रहती है हर दम दुनिया के हँगामे घेरे रखते थे जब से तेरे ध्यान लगे हैं फ़ुर्सत रहती है करनी है तो खुल के करो इंकार-ए-वफ़ा की बात बात अधूरी रह जाए तो हसरत रहती है शहर-ए-सुख़न में ऐसा कुछ… Continue reading आईनों में अक्स न हों तो / अमजद इस्लाम
शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया
शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया तमाशा-ए बयक-कफ़ बुरदन-ए सद दिल पसंद आया ब फ़ैज़-ए बे-दिली नौमीदी-ए जावेद आसां है कुशायिश को हमारा `उक़द-ए मुश्किल पसंद आया हवा-ए सैर-ए गुल आईना-ए बे-मिहरी-ए क़ातिल कि अंदाज़-ए ब ख़ूं-ग़लतीदन-ए बिस्मिल पसंद आया रवानियाँ -ए मौज-ए ख़ून-ए बिस्मिल से टपकता है कि लुतफ़-ए बे-तहाशा-रफ़तन-ए क़ातिल पसंद आया असद… Continue reading शुमार-ए सुबह मरग़ूब-ए बुत-ए-मुश्किल पसंद आया
ऐ इश्क़ तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा / अल्ताफ़ हुसैन हाली
ऐ इश्क़! तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा जिस घर से सर उठाया उस घर को खा के छोड़ा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”नेक लोग”]अबरार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तुझसे तरसाँ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”सभ्य लोग”]अहरार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तुझसे लरज़ाँ जो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”समक्ष”]ज़द[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] पे तेरी आया इसको गिरा के छोड़ा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”राजाओं”]रावों[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] के राज छीने, शाहों के ताज छीने [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”घमण्डियों”]गर्दनकशों[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] को अक्सर नीचा दिखा के छोड़ा क्या… Continue reading ऐ इश्क़ तूने अक्सर क़ौमों को खा के छोड़ा / अल्ताफ़ हुसैन हाली
जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजियेगा / अल्ताफ़ हुसैन हाली
जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजिएगा ये भेद है अपनी ज़िन्दगी का बस इसकी चर्चा न कीजिएगा इसी में है ख़ैर हज़रते-दिल! कि यार भूला हुआ है हमको करे वो याद इसकी भूल कर भी कभी तमन्ना न कीजिएगा कहे अगर कोई तुझसे वाइज़! कि कहते कुछ और करते हो कुछ… Continue reading जहाँ में ‘हाली’ किसी पे अपने सिवा भरोसा न कीजियेगा / अल्ताफ़ हुसैन हाली