नया साल हो / अशोक चक्रधर

नव वर्ष की शुभकामनाएं हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर। दिलों में हो फागुन, दिशाओं में रुनझुन हवाओं में मेहनत की गूंजे नई धुन गगन जिसको गाए हवाओं से सुन-सुन वही धुन मगन मन, सभी गुनगुनाएं। नव वर्ष की शुभकामनाएं हैपी न्यू इयर, हैपी न्यू इयर। नया साल हो आप सबको मुबारक। ये धरती हरी… Continue reading नया साल हो / अशोक चक्रधर

ज़रा मुस्कुरा तो दे / अशोक चक्रधर

माना, तू अजनबी है और मैं भी, अजनबी हूँ डरने की बात क्या है ज़रा मुस्कुरा तो दे। हूं मैं भी एक इंसां और तू भी एक इंसां ऐसी भी बात क्या है ज़रा मुस्कुरा तो दे। ग़म की घटा घिरी है तू भी है ग़मज़दा सा रस्ता जुदा-जुदा है ज़रा मुस्कुरा तो दे। हाँ,… Continue reading ज़रा मुस्कुरा तो दे / अशोक चक्रधर

चिड़िया की उड़ान / अशोक चक्रधर

चिड़िया तू जो मगन, धरा मगन, गगन मगन, फैला ले पंख ज़रा, उड़ तो सही, बोली पवन। अब जब हौसले से, घोंसले से आई निकल, चल बड़ी दूर, बहुत दूर, जहां तेरे सजन। वृक्ष की डाल दिखें जंगल-ताल दिखें खेतों में झूम रही धान की बाल दिखें गाँव-देहात दिखें, रात दिखे, प्रात दिखे, खुल कर… Continue reading चिड़िया की उड़ान / अशोक चक्रधर

छूटा गांव, छूटी गली / अशोक चक्रधर

रोको, रोको ! ये डोली मेरी कहां चली, छूटा-गाँव, छूटी गली। रोक ले बाबुल, दौड़ के आजा, बहरे हुए कहार, अंधे भी हैं ये, इन्हें न दीखें, तेरे मेरे अंसुओं की धार। ये डोली मेरी कहां चली, छूटा-गाँव, छूटी गली। कपड़े सिलाए, गहने गढ़ाए, दिए तूने मखमल थान, बेच के धरती, खोल के गैया, बांधा… Continue reading छूटा गांव, छूटी गली / अशोक चक्रधर

झूम रही बालियां / अशोक चक्रधर

रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां। फल और फूलों से, पटरी के झूलों से खाय हिचकोले मगन भईं डालियां। रे देखो खेतों में झूम रहीं बालियां। ऋतु है बसंती ये बड़ी रसवंती ये। कोयलिया कूक रही, जादू सा फूंक रही। सखियां हैं चुनमुन है, पायलों की रुनझुन है। मस्ती में जवानी है, अदा मस्तानी… Continue reading झूम रही बालियां / अशोक चक्रधर

सद्भावना गीत / अशोक चक्रधर

गूंजे गगन में, महके पवन में हर एक मन में -सद्भावना। मौसम की बाहें, दिशा और राहें, सब हमसे चाहें -सद्भावना। घर की हिफ़ाज़त पड़ौसी की चाहत, हरेक दिल को राहत, -तभी तो मिले, हटे सब अंधेरा, ये कुहरा घनेरा, समुज्जवल सवेरा -तभी तो मिले, जब हर हृदय में पराजय-विजय में सद्भाव लय में -हो… Continue reading सद्भावना गीत / अशोक चक्रधर

डबवाली शिशुओं के नाम / अशोक चक्रधर

आरजू, बंसी-एक साल ! निशा, अमनदीप, गुड्डी-दो साल ! मीरा, एकता, मरियम-तीन साल ! रेशमा, भावना, नवनीत- चार साल ! गोलू, गिरधर, बॉबी-पांच साल ! अवनीत कौर, हुमायूं-छ: साल ! राखी, विक्टर, सुचित्रा-सात साल ! अंकित, दीपक, रेहाना-आठ साल ! नौ साल के हीबा और विवेक ! और भी अनेकानेक…. डबवाली के बच्चो ! सूम… Continue reading डबवाली शिशुओं के नाम / अशोक चक्रधर

पोपला बच्चा / अशोक चक्रधर

बच्चा देखता है कि मां उसको हंसाने की कोशिश कर रही है। भरपूर कर रही है, पुरज़ोर कर रही है, गुलगुली बदन में हर ओर कर रही है। मां की नादानी को ग़ौर से देखता है बच्चा, फिर कृपापूर्वक अचानक… अपने पोपले मुंह से फट से हंस देता है। सोचता है ख़ूब फंसी मां भी… Continue reading पोपला बच्चा / अशोक चक्रधर

आपकी नाकामयाबी / अशोक चक्रधर

नन्हा बच्चा जिस भी उंगली को पकड़े कस लेता है, और अपनी पकड़ की मज़बूती का रस लेता है। आप कोशिश करिए अपनी उंगली छुड़ाने की। नहीं छुड़ा पाए न ! वो आपकी नाकामयाबी पर हंस लेता है। और पकड़ की मज़बूती का भरपूर रस लेता है।

बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर

मैग्ज़ीन पढ़ रही है मां बच्चा सो रहा है, बच्चे के हाथ में भी एक किताब है पढे़ कैसे वह तो सो रहा है। हिचकियां ले रहा है और बड़ा हो रहा है। बढ़ता हुआ बच्चा जब और और बढ़ेगा, तो मां से भी ज़्यादा किताबें पढ़ेगा। मज़ा तो तब आएगा, जब वो किसी अनपढ़… Continue reading बढ़ता हुआ बच्चा / अशोक चक्रधर