अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं / निदा फ़ाज़ली

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों तक किसको मालूम कहाँ के हैं किधर के हम… Continue reading अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं / निदा फ़ाज़ली

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये / निदा फ़ाज़ली

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में… Continue reading अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये / निदा फ़ाज़ली

अब ख़ुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला / निदा फ़ाज़ली

अब खुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला हर बे-चेहरा सी उम्मीद है चेहरा चेहरा जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला दूर के चांद को ढूंढ़ो न किसी… Continue reading अब ख़ुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला / निदा फ़ाज़ली

कुछ तबीयत ही मिली थी / निदा फ़ाज़ली

कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत ना हुई जिसको चाहा उसे अपना ना सके जो मिला उससे मुहब्बत ना हुई जिससे जब तक मिले दिल ही से मिले दिल जो बदला तो फसाना बदला रस्में दुनिया की निभाने के लिए हमसे रिश्तों की [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”व्यापार, व्यवसाय”]तिज़ारत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  ना हुई दूर से… Continue reading कुछ तबीयत ही मिली थी / निदा फ़ाज़ली

दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती / निदा फ़ाज़ली

दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती कुछ लोग यूँ ही शहर में हमसे भी ख़फा हैं हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती हँसते हुए चेहरों से है… Continue reading दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती / निदा फ़ाज़ली

वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की / निदा फ़ाज़ली

वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की जो रोज़ मेरी गली से गुज़र के जाती है सुना है वो किसी लड़के से प्यार करती है बहार हो के, तलाश-ए-बहार करती है न कोई मेल न कोई लगाव है लेकिन न जाने क्यूँ बस उसी वक़्त जब वो आती है कुछ इंतिज़ार की आदत सी… Continue reading वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की / निदा फ़ाज़ली

कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे / निदा फ़ाज़ली

कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे वो बदन जब भी सजे कोई नया ख्वाब लगे एक चुप चाप सी लड़की, न कहानी न ग़ज़ल याद जो आये कभी रेशम-ओ-किम्ख्वाब लगे अभी बे-साया है दीवार कहीं लोच न ख़म कोई खिड़की कहीं निकले कहीं मेहराब लगे घर के आँगन मैं भटकती हुई दिन भर की… Continue reading कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे / निदा फ़ाज़ली

गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला / निदा फ़ाज़ली

गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाना, बच्चों को गुड़धानी दे मौला दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच समझवालों को थोड़ी नादानी दे मौला फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नई सलीबें झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला फिर मूरत से… Continue reading गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला / निदा फ़ाज़ली

बेसन की सोंधी रोटी पर / निदा फ़ाज़ली

बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका-बासन चिमटा फुकनी जैसी माँ बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे आधी सोई आधी जागी थकी दोपहरी जैसी माँ चिड़ियों के चहकार में गूंजे राधा-मोहन अली-अली मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती घर की कुंडी जैसी माँ बिवी, बेटी,… Continue reading बेसन की सोंधी रोटी पर / निदा फ़ाज़ली