क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा हँसती आँखों में झाँक कर देखो कोई आँसू कहीं छुपा होगा इन दिनों ना-उम्मीद सा हूँ मैं शायद उसने भी ये सुना होगा देखकर तुमको सोचता हूँ मैं क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा
Category: Javed Akhtar
Javed Akhtar Poetry
One of the most popular and noteworthy poet, scriptwriter and lyricist of India Javed Akhtar needs no introduction. No Bollywood is complete without the magical lyrics of Javed Akhtar. He has been writing lyrics for the melodious Bollywood songs and scripts for the movies since time immemorial. His work for literature and poetry can never be forgotten. Most popular Javed Akhtar poetry and books includes Lava published in Urdu, Hindi, and English, Quiver in English, Tarkash in Urdu, Gujarati, Bengali, and Kannada languages. Javed Akhtar Nazm or Javed Akhtar poems are equally popular and are narrated at various occasions. Javed Akhtar has received National Award for Best Lyricist five times. The prestigious Film Fare Award for Best Script / Best Lyricist sixteen times. Javed Akhtar received the Sahitya Akademi Award in Urdu, the India’s second highest literary honor, for his poetry collection Lava in 2013.
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
आज मैंने अपना फिर सौदा किया और फिर मैं दूर से देखा किया ज़िन्दगी भर मेरे काम आए असूल एक एक करके मैं उन्हें बेचा किया कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी तुम से क्या कहते कि तुमने क्या किया हो गई थी दिल को कुछ उम्मीद सी खैर तुमने जो किया अच्छा किया
अब अगर आओ तो
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं दिल में उम्मीद की सौ शम्मे जला रखी हैं ये हसीं शम्मे बुझाने के लिए मत आना प्यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं… Continue reading अब अगर आओ तो
आप भी आइए
आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए दोस्ती ज़ुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिए। ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए। वक्त ने लूट लीं लोगों की तमन्नाएँ भी, ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए। शक्ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई, कभी बन जाएगी तसवीर… Continue reading आप भी आइए
तमन्ना फिर मचल जाए
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे ज़माना मुझसे जल जाए, अगर… Continue reading तमन्ना फिर मचल जाए
यही हालात इब्तदा से रहे
यही हालात [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”शुरु”]इब्तदा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से रहे लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे इन चिराग़ों में तेल ही कम था क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे बहस, शतरंज, शेर, [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”संगीत कला”]मौसीक़ी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे उसके बंदों को देखकर कहिये… Continue reading यही हालात इब्तदा से रहे
मिसाल इसकी कहाँ है
[ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”उधाहरण”]मिसाल[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] इसकी कहाँ है ज़माने में कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे अजीब बात हुई है उसे भुलाने में जो [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इंतज़ार में”]मुंतज़िर[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा कि हमने देर लगा दी पलट के आने में [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मज़ेदार”]लतीफ़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]… Continue reading मिसाल इसकी कहाँ है
मैनें दिल से कहा
मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता जब से कोई मिला तू है खोया हुआ ये कहानी है क्या है ये क्या सिलसिला ऐ दीवाने बता मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता धड़कनों में छुपी कैसी आवाज़ है कैसा ये गीत है कैसा ये साज़ है कैसी ये बात है कैसा ये राज़ है… Continue reading मैनें दिल से कहा
कभी यूँ भी तो हो
कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें जब घर से तुम्हारे गुज़रें तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें मेरे घर ले आयें… Continue reading कभी यूँ भी तो हो
जाते जाते वो मुझे
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई और मुझ को एक कश्ती [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पाल से जुड़ा / related to sail”]बादबानी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] दे गया ख़ैर… Continue reading जाते जाते वो मुझे