दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी

दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला बुत के बंदे तो मिले अल्लाह का बंदा न मिला [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मित्रसभा”]बज़्म-ए-याराँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से फिरी [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”वासन्ती हवा”]बाद-ए-बहारी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मायूस एक सर भी उसे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पागल होने को तैयार”]आमादा-ए-सौदा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न मिला गुल के [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”चाहने वाले”]ख्व़ाहाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तो नज़र आए बहुत [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इत्र बेचने वाले”]इत्रफ़रोश[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”फूलों पर न्योछावर… Continue reading दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी

बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से / अकबर इलाहाबादी

बहसें फिजूल थीं यह खुला हाल देर में अफ्सोस उम्र कट गई लफ़्ज़ों के फेर में है मुल्क इधर तो कहत जहद, उस तरफ यह वाज़ कुश्ते वह खा के पेट भरे पांच सेर मे हैं गश में शेख देख के हुस्ने-मिस-फिरंग बच भी गये तो होश उन्हें आएगा देर में छूटा अगर मैं गर्दिशे… Continue reading बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से / अकबर इलाहाबादी

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है / अकबर इलाहाबादी

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ ‘अकबर’ यह क्या हो रहा… Continue reading कोई हँस रहा है कोई रो रहा है / अकबर इलाहाबादी

हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी

हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है ना-तजुर्बाकारी से, [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धर्मोपदेशक”]वाइज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]  की ये बातें हैं इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मनोरथ”]मक़सूद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] है उस मय से, दिल ही… Continue reading हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी

गांधीनामा / अकबर इलाहाबादी

१) इन्क़िलाब आया, नई [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”दुनिया”]दुन्याह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] , नया हंगामा है शाहनामा हो चुका, अब दौरे गांधीनामा है। दीद के क़ाबिल अब उस उल्लू का फ़ख्रो नाज़ है जिस से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पश्चिम, संदर्भ की द़ष्टि से अंग्रेज़ या अंग्रेजी सरकार।”]मग़रिब[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip]   ने कहा तू ऑनरेरी बाज़ है। है क्षत्री भी चुप न पट्टा न बांक है पूरी… Continue reading गांधीनामा / अकबर इलाहाबादी