सम्पूर्णता / आग्नेय

वह आकाश की ओर देखती रही जबकि मैं उसके निकट छाया की तरह लिपटा था, उसका हाथ दूसरी स्त्री के कन्धे पर था, जबकि मैं उसके चारों ओर हवा की तरह ठहरा था, भरी-पूरी स्त्री का भरा-पूरा प्यार अन्तिम इच्छा की तरह जी लेने के लिए मैं उसे हरदम पल्लवित और फलवती पृथ्वी की सम्पूर्णता… Continue reading सम्पूर्णता / आग्नेय

गमन / आग्नेय

फूल के बोझ से टूटती नहीं है टहनी फूल ही अलग कर दिया जाता है टहनी से उसी तरह टूटता है संसार टूटता जाता है संसार– मेरा और तुम्हारा चमत्कार है या अत्याचार है इस टूटते जाने में सिर्फ़ जानता है टहनी से अलग कर दिया गया फूल