मुझे फरेब-ए-वफा दे के दम में लाना था / ‘हिज्र’ नाज़िम अली खान
मुझे फरेब-ए-वफा दे के दम में लाना था ये एक चाल थी उन की ये इक बहाना था न दर्द था न ख़लिश न तिलमिलाना था किसी का इश्क न था वो भी क्या ज़माना था खुली जो आँख तो …