समंदर थूं : समदर हूं / हरीश भादानी

थूं………….. मच चढियोड़ौ साव उघाड़ौ नागो दूर दिसावां तांई सूतौ दीसै… नेड़ौ तो आंटीज्यौ आवै पड़ै पछाड़ां खा -खा लूरलै मखमलिया माटी झागूंटा थूक जावै बोला नीं रेवै एक पळ घैंघावतौ रेवै सुणै कुण उछांचळी छोळां-सा थारा बोल थूं………… हँसतौ-हँसतौ जबड़ा पसार गिट जावै जाज जूंण री खातर थारो पताळ छाणती नांवां, मछेरा डकार नीं… Continue reading समंदर थूं : समदर हूं / हरीश भादानी

खाथौ चाल रे / हरीश भादानी

खाथौ चाल रे कमतरिया देखलै सींव पाछौ धिरयौ है रंभावतौ रेवड़ उठतै रेतड़ सूं कंवळाइजै उजास संुवी सिंझ्या सुहाग्ण नीं चढै कुवै भरियाई व्हैला घड़िया टीपाटीप बैठगी व्हैला हांडी कठौती मांड चाल….कमज्या रा धणी चाल खाथौ-खाथौ चाल ऊभगी व्हैला थरकण थांम मघली अंवळाई में दीसै कठैई छिंयां….. तौ हाका पाड़ती भाजै सामै पगां टेरां माथै… Continue reading खाथौ चाल रे / हरीश भादानी