खाथौ चाल रे / हरीश भादानी

खाथौ चाल रे कमतरिया

देखलै सींव
पाछौ धिरयौ है
रंभावतौ रेवड़
उठतै रेतड़ सूं
कंवळाइजै उजास
संुवी सिंझ्या
सुहाग्ण नीं चढै कुवै
भरियाई व्हैला
घड़िया टीपाटीप
बैठगी व्हैला
हांडी कठौती मांड
चाल….कमज्या रा धणी चाल
खाथौ-खाथौ चाल
ऊभगी व्हैला
थरकण थांम मघली
अंवळाई में
दीसै कठैई छिंयां….. तौ
हाका पाड़ती भाजै सामै पगां
टेरां माथै टेर
भरताई व्हैला
तेजौ हरियौ सूवटी
जाणै उगेरी आरती
देख बा देख
सरणाटे री छोटी
झाड़ती उतरै
भीतां माथै रात
राखैला आळा – आरां
भर दैली थाळी हथाळी
देवैली कवा
जड़ दैली सगळा दूधाळा दांत
खाथौ चाल
दीवै रा देवता
होतांई चुड़लै रै हाथां जोत
सैचन्न होसी
चूलौ- आंगणौ
चाल……………
आखै घर री
उडीकां रा एकल चित्रांम
खाथौ- खाथौ चाल
खाथौ चाल रे कमतरिया!

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