मुंशी कि क्लर्क या ज़मींदार लाज़िम है कलेक्टरी का दीदार हंगामा ये वोट का फ़क़त है मतलूब हरेक से दस्तख़त है हर सिम्त मची हुई है हलचल हर दर पे शोर है कि चल-चल टमटम हों कि गाड़ियां कि मोटर जिस पर देको, लदे हैं वोटर शाही वो है या पयंबरी है आखिर क्या शै… Continue reading पिंजरे में मुनिया / अकबर इलाहाबादी
Author: poets
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते परवानों ने फ़ानूस को देखा तो… Continue reading आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी
समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का ‘अकबर’ ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का गर [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धर्मोपदेशक”]शैख़-ओ-बहरमन[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] सुनें अफ़साना किसी का [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पूजा का स्थान”]माबद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न रहे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”काबा और मंदिर”]काबा-ओ-बुतख़ाना[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] किसी का अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चाँद-सी सूरत रौशन भी करो जाके [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अँधेरे भरा कमरा”]सियहख़ाना[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] किसी का अश्क आँखों… Continue reading समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का / अकबर इलाहाबादी
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ / अकबर इलाहाबादी
दुनिया में हूँ दुनिया का [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इच्छुक, चाहने वाला”]तलबगार[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] नहीं हूँ बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीददार नहीं हूँ ज़िन्दा हूँ मगर [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”जीवन”]ज़ीस्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] की [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”स्वाद”]लज़्ज़त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] नहीं बाक़ी हर चंद कि हूँ होश में, होशियार नहीं हूँ इस [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”अस्तित्व का घर”]ख़ाना-ए-हस्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से गुज़र जाऊँगा [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”लांछन के बिना”]बेलौस[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] साया हूँ [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”केवल”]फ़क़्त[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] , [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip… Continue reading दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ / अकबर इलाहाबादी
दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी
दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला बुत के बंदे तो मिले अल्लाह का बंदा न मिला [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मित्रसभा”]बज़्म-ए-याराँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] से फिरी [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”वासन्ती हवा”]बाद-ए-बहारी[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] मायूस एक सर भी उसे [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पागल होने को तैयार”]आमादा-ए-सौदा[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] न मिला गुल के [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”चाहने वाले”]ख्व़ाहाँ[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] तो नज़र आए बहुत [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”इत्र बेचने वाले”]इत्रफ़रोश[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”फूलों पर न्योछावर… Continue reading दिल मेरा जिस से बहलता / अकबर इलाहाबादी
बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से / अकबर इलाहाबादी
बहसें फिजूल थीं यह खुला हाल देर में अफ्सोस उम्र कट गई लफ़्ज़ों के फेर में है मुल्क इधर तो कहत जहद, उस तरफ यह वाज़ कुश्ते वह खा के पेट भरे पांच सेर मे हैं गश में शेख देख के हुस्ने-मिस-फिरंग बच भी गये तो होश उन्हें आएगा देर में छूटा अगर मैं गर्दिशे… Continue reading बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से / अकबर इलाहाबादी
कोई हँस रहा है कोई रो रहा है / अकबर इलाहाबादी
कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ ‘अकबर’ यह क्या हो रहा… Continue reading कोई हँस रहा है कोई रो रहा है / अकबर इलाहाबादी
हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी
हंगामा है क्यूँ बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है ना-तजुर्बाकारी से, [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”धर्मोपदेशक”]वाइज़[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] की ये बातें हैं इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है उस मय से नहीं मतलब, दिल जिस से है बेगाना [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”मनोरथ”]मक़सूद[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] है उस मय से, दिल ही… Continue reading हंगामा है क्यूँ बरपा / अकबर इलाहाबादी
गांधीनामा / अकबर इलाहाबादी
१) इन्क़िलाब आया, नई [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”दुनिया”]दुन्याह[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] , नया हंगामा है शाहनामा हो चुका, अब दौरे गांधीनामा है। दीद के क़ाबिल अब उस उल्लू का फ़ख्रो नाज़ है जिस से [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”पश्चिम, संदर्भ की द़ष्टि से अंग्रेज़ या अंग्रेजी सरकार।”]मग़रिब[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] ने कहा तू ऑनरेरी बाज़ है। है क्षत्री भी चुप न पट्टा न बांक है पूरी… Continue reading गांधीनामा / अकबर इलाहाबादी
अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़
अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और उस [ithoughts_tooltip_glossary-tooltip content=”ऐसी गली, जहाँ व्यंग्य किया जाता हो”]कू-ए-मलामत[/ithoughts_tooltip_glossary-tooltip] में गुजरते कोई दिन और रातों के तेरी यादों के [ithoughts_tooltip_glossary-glossary slug=”%e0%a4%96%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b6%e0%a5%80%e0%a4%a6″]खुर्शीद[/ithoughts_tooltip_glossary-glossary] उभरते आँखों में सितारे से उभरते कोई दिन और हमने तुझे देखा तो किसी और को ना देखा ए काश तेरे बाद गुजरते कोई… Continue reading अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और / फ़राज़