आईना साफ़ था धुँधला हुआ रहता था मैं / अंजुम सलीमी

आईना साफ़ था धुँधला हुआ रहता था मैं अपनी सोहबत में भी घबराया हुआ रहता था मैं अपना चेहरा मुझे कतबे की तरह लगता था अपने ही जिस्म में दफ़नाया हुआ रहता था मैं जिस मोहब्बत की ज़रूरत थी मेरे लोगों को उस मोहब्बत से भी बाज़ आया हुआ रहता था मैं तू नहीं आता… Continue reading आईना साफ़ था धुँधला हुआ रहता था मैं / अंजुम सलीमी

नहीं नाम ओ निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं / अंजुम रूमानी

नहीं नाम ओ निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं उगे शायद ज़मीं से ख़ुद-ब-ख़ुद दीवार बैठे हैं सवार-ए-कश्ती-ए-अमवाज-ए-दिल हैं और ग़ाफ़िल हैं समझते हैं की हम दरिया-ए-ग़म के पार बैठे हैं उजाड़ ऐसी न थी दुनिया अभी कल तक ये आलम था यहाँ दो चार बैठे हैं वहाँ दो चार बैठे हैं फिर आती… Continue reading नहीं नाम ओ निशाँ साए का लेकिन यार बैठे हैं / अंजुम रूमानी

जहाँ तक गया कारवान-ए-ख़याल / अंजुम रूमानी

जहाँ तक गया कारवान-ए-ख़याल न था कुछ ब-जुज़ हसरत-ए-पाएमाल मुझे तेरा तुझ को है मेरा ख़याल मगर ज़िंदगी फिर भी हैं ख़स्ता-हाल जहाँ तक है दैर ओ हरम का सवाल रहें चुप तो मुश्किल कहें तो मुहाल तेरी काएनात एक हैरत-कदा शनासा मगर अजनबी ख़द-ओ-ख़ाल मेरी काएनात एक ज़ख़्म-ए-कोहन मुक़द्दर में जिस के नहीं इंदिमाल… Continue reading जहाँ तक गया कारवान-ए-ख़याल / अंजुम रूमानी

हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा / अंजुम रूमानी

हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा लेकिन हमें इस वक़्त कोई होश न होगा देखोगे तो आएगी तुम्हें अपनी जफ़ा याद ख़ामोश जिसे पाओगे ख़ामोश न होगा गुज़रे हैं वो लम्हे सदा याद रहेंगे देखा है वो आलम कि फ़रामोश न होगा हम अपनी शिकस्तों से हैं जिस तरह बग़ल-गीर यूँ क़ब्र से भी… Continue reading हर चंद उन्हें अहद फ़रामोश न होगा / अंजुम रूमानी

हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए / अंजुम रूमानी

हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए इंसान हैं सभी तो मसावात चाहिए अच्छा चलो ख़ुदा न सही उन को क्या हुआ आख़िर कोई तो क़ाज़ी-ए-हाजात चाहिए है आक़बत ख़राब तो दुनिया ही ठीक हो कोई तो सूरत-ए-गुज़र-औक़ात चाहिए जाने पलक झपकने में क्या गुल खिलाए वक़्त हर दम नज़र ब-सूरत-ए-हालात चाहिए आएगी हम को… Continue reading हम से भी गाहे गाहे मुलाक़ात चाहिए / अंजुम रूमानी

दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है / अंजुम रूमानी

दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है हर एक शख़्स यहाँ इक फ़साना रखता है किसी भी हाल में राज़ी नहीं है दिल हम से हर इक तरह का ये काफ़िर बहाना रखता है अज़ल से ढंग हैं दिल के अजीब से शायद किसी से रस्म-ओ-रह-ए-ग़ाएबाना रखता है कोई तो फ़ैज़ है कोई तो बात… Continue reading दुखी दिलों की लिए ताज़याना रखता है / अंजुम रूमानी

सनातन मौसम / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

अभी तो मुझे आश्चर्य होता है कि कहाँ से फूटता है यह शब्दों का झरना कभी अन्याय के सामने मेरी आवाज की आँख ऊँची होती है तो कभी शब्दों की शांत नदी शांति से बहती है इतने सारे शब्दों के बीच मैं बचाता हूँ अपना एकांत तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर लेता हूँ… Continue reading सनातन मौसम / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

तस्वीर के उस पार / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

तुम मुझे मेरी तस्वीर या पोस्टर में ढूढ़ने की व्यर्थ कोशिश मत करो मैं तो पद्मासन की मुद्रा में बैठा हूँ अपने आत्मविश्वास में अपनी वाणी और कर्मक्षेत्र में। तुम मुझे मेरे काम से ही जानो तुम मुझे छवि में नहीं लेकिन पसीने की महक में पाओ योजना के विस्तार की महक में ठहरो मेरी… Continue reading तस्वीर के उस पार / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

प्रयत्न / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

सर झुकाने की बारी आये ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा पर्वत की तरह अचल रहूँ व नदी के बहाव सा निर्मल शृंगारित शब्द नहीं मेरे नाभि से प्रकटी वाणी हूँ मेरे एक एक कर्म के पीछे ईश्वर का हो आशीर्वाद

आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

आँख ये धन्य है (कविता संग्रह) जिंदगी की आँच में तपे हुए मन की अभिव्यक्ति है – “आँख ये धन्य है”। गुजराती में यह संकलन ‎”आँख आ धन्य छे” के नाम से २००७ में प्रकाशित हुआ था। हिंदी में इसे आने में यदि सात वर्षों का लंबा समय लगा तो इसकी अनेक वजहें हो सकती… Continue reading आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर