हथियार / अंजू शर्मा

बुराई से सतत लड़ाई में विरोध के लिए वह तलाश रहा था सबसे कारगर तरीका, हुआ यूं कि घातक हथियारों की गली से गुजरते हुए उस शख्स ने अपनी कलम को कसकर पकड़ लिया…

भरोसा / अंजू शर्मा

शब्द यदि भौतिक होते तो यह कहना मुश्किल न होता कि भरोसा शब्दकोश का सर्वाधिक क्षतिग्रस्त शब्द है, हालांकि जरूरी है भरोसे का सबसे अधिक प्रयोग किये जाने वाले शब्द में बदला जाना भरोसा और धोखा दोनों अक्सर पूरक शब्दों-सा बर्ताव करते प्रतीत होते हैं भरोसा जितना अधिक हो उतना ही बड़ा होता है धोखे… Continue reading भरोसा / अंजू शर्मा

कुछ हाथ मेरे सपने में आते हैं / अंजू शर्मा

सुनिए मुझे कुछ कहना है आपसे, मेरी रातें इन दिनों एक अज़ाब की गिरफ्त में हैं और मेरे दिन उसे पहेली से सुलझाया करते हैं, पिछले कुछ दिनों से अक्सर कुछ हाथ में मेरे सपने में आते हैं मैं गौर से देखती हूँ इन हाथों का रंग जो हर रात बदलता रहता है दिल्ली के… Continue reading कुछ हाथ मेरे सपने में आते हैं / अंजू शर्मा

यह समय हमारी कल्पनाओं से परे है / अंजू शर्मा

यह कह पाना दरअसल उतना ही दुखद है जितना कि ये विचार, कि यह समय कुंद विचारों से जूझती मानसिकताओं का है हालांकि इसे सीमित समझ का नाम देकर खारिज करना आसान है, पर हमारी कल्पनाओं से परे, बहुत परे है आज के समय की तमाम जटिलताएँ, पहाड़ से दुखों तले मृत्यु से जूझते हजारों… Continue reading यह समय हमारी कल्पनाओं से परे है / अंजू शर्मा

दु:ख: पाँच कवितायें / अंजू शर्मा

(1) दबे पाँव रेंगता आता है दुख जीवन में, स्थायी बने रहने के लिए लड़ता है सुख से एक अंतहीन लड़ाई, दुख को रोक पाने जब नाकामयाबी मिले तो कर लेनी चाहिए एक दुख से दोस्ती एक छोटा सा दुख रो लेता है साथ कभी भी, कहीं भी (2) सुख की क्षणिक लहरों में डूबते… Continue reading दु:ख: पाँच कवितायें / अंजू शर्मा

जीवन में चिंताएँ / अंजू शर्मा

जीवन स्वतः पलटे जाते पृष्ठों वाली एक किताब न बन जाए, बोरियत हर अध्याय के अंत पर चस्पा न हो इसके लिए जरूरी है कुछ सरस बुकटैग्स, जरूरी है बने रहना, थोड़ा सा नीमपागल थोड़ा सी गंभीरता थोड़ा सा बचपना थोड़ा सी चिंताएँ और थोड़ा सा सयानापन, होना ही चाहिए सब कुछ ज़िदगी में पर… Continue reading जीवन में चिंताएँ / अंजू शर्मा

बंद हुए कश्मीरी बैंड प्रगाश के लिए / अंजू शर्मा

सैय्याद का यह फरमान है कि बुलबुलों का चहकना मौसम के अनुकूल नहीं है हब्बा खातून और लल्लेश्वरी की सरजमीं पर अब नहीं गूंजेंगीं कभी कोयलों की मीठी तानें, कुछ नहीं बदलेगा, पृथ्वी यूँ ही सूर्य के चक्कर लगाएगी, यूँ ही देसी पासपोर्ट पर सफ़र करते तथाकथित देशवासी सरहद पार से फतवों की झोलियाँ भरकर… Continue reading बंद हुए कश्मीरी बैंड प्रगाश के लिए / अंजू शर्मा

उम्मीद / अंजू शर्मा

वे कहते हैं दुनिया टिकी है शेषनाग के फन पर, दुनिया कायम है उम्मीद पर, मैं कहती हूँ आशा और निराशा के संतुलन का नाम ही उम्मीद है दुनिया नहीं टिकी शेषनाग के फन पर यह स्थिर है आशा और निराशा के संतुलन पर इन दोनों के मध्य बिछी है उम्मीद की नर्म जमीन, जिस… Continue reading उम्मीद / अंजू शर्मा

हम निकल पड़े है / अंजू शर्मा

हमने मांगी जिंदगी तो थोपे गए तयशुदा फलसफे, चाहीं किताबें तो हर बार थमा दिए गए अड़ियल शब्दकोष, हमारे चलने, बोलने और हंसने के लिए तय की गयीं एकतरफा आचार-संहिताएँ, हर मुस्कराहट की एवज में चुकाते रहे हम कतरा कतरा सुकून हम इतिहास की नींव का पत्थर हैं किन्तु हमारे हर बढ़ते कदम के नीचे… Continue reading हम निकल पड़े है / अंजू शर्मा

मैं तुम हो जाती हूँ / अंजू शर्मा

तन्हाई के किन्ही खास पलों में कभी कभी सोचती हूँ मैं एक मल्लिका हूँ तुम्हारी कायनात की, जिसे हर रात बदलने से बचना है सिन्ड्रेला में, या तुम्हारे इर्द गिर्द घूमती मैं बदल गयी हूँ, तुम्हारे उपग्रह में, और चाँद अब दूर से ही मुझे देखकर कुढा करता है, या तुम उग आये हो मेरे… Continue reading मैं तुम हो जाती हूँ / अंजू शर्मा