शाएर से शेर सुनिए तो मिस्रा उठाइए / दिलावर ‘फ़िगार’

शाएर से शेर सुनिए तो मिस्रा उठाइए
इक बार अगर न उठे दोबारा उठाइए

कोई किसी का लाश उठाता नहीं यहाँ
अब ख़ुद ही अपना अपना जनाज़ा उठाइए

अग़वा ही करना था तो कोई कम थे लख-पति
किस ने कहा था रोड से कंगला उठाइए

कोई क़दम उठाना है तो राह-ए-शौक़ में
अगला क़दम न उठे तो पिछला उठाइए

स्टेज पर पड़ा था जो पर्दा वो उठ चुका
जो अक़्ल पर पड़ा है वो पर्दा उठाइए

पोशीदा बम भी होते हैं कचरे के ढेर में
हुश्यार हो के रोड से कचरा उठाइए

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *