मोसों होरी खेलन आयो / घनानंद

(राग कान्हरौ )

मोसों होरी खेलन आयौ ।
लटपटी पाग, अटपटे बैनन, नैनन बीच सुहायौ ॥
डगर-डगर में, बगर-बगर में, सबहिंन के मन भायौ ।
’आनँदघन’ प्रभु कर दृग मींड़त, हँसि-हँसि कंठ लगायौ ॥

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *