बैस नई, अनुराग मई / घनानंद

बैस नई, अनुराग मई, सु भई फिरै फागुन की मतवारी ।
कौंवरे हाथ रचैं मिंहदी, डफ नीकैं बजाय रहैं हियरा रीन ॥
साँवरे भौंर के भाय भरी, ’घनाआनँद’ सोनि में दीसत न्यारी ।
कान्ह है पोषत प्रान-पियें, मुख अंबुज च्वै मकरंद सी गारी ॥

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *