धुनि पुरि रहै नित काननि में / घनानंद

सवैया

धुनि पुरि रहै नित काननि में , अज कों उपराजिबोई सी करै .
मन मोहन गोहन जोहन के , अभिलाख समाजिबोई सी करै .
‘घनआनन्द’ तिखिये ताननि सों , सर से सुर साजिबोई सी करै .
कित तें यह बैरिन बांसुरिया, बिन बाजेई बाजिबोई सी करे .

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