दिल अभी तक जवान है प्यारे / ‘हफ़ीज़’ जालंधरी

दिल अभी तक जवान है प्यारे
किसी मुसीबत में जान है प्यारे

तू मिरे हाल का ख़याल न कर
इस में भी एक शान है प्यारे

तल्ख़ कर दी है ज़िंदगी जिस ने
कितनी मीठी है ज़बान है प्यारे

वक़्त कम है न छेड़ हिज्र की बात
ये बड़ी दास्तान है प्यारे

जाने क्या कह दिया था रोज़-ए-अज़ल
आज तक इम्तिहान है प्यारे

हम हैं बंदे मगर तिरे बंदे
ये हमारी भी शान है प्यारे

नाम है इस का नासेह-ए-मुश्फ़िक़
ये मिरा मेहरबान है प्यारे

कब किया मैं ने इश्क़ का दावा
तेरा अपना गुमान है प्यारे

मैं तुझे बे-वफ़ा नहीं कहता
दुश्मनों का बयान है प्यारे

सारी दुनिया को है ग़लत-फ़हमी
मुझ पे तो मेहरबान है प्यारे

तेरे कूचे में है सुकूँ वर्ना
हर ज़मीं आसमान है प्यारे

ख़ैर फरियाद बे-असर ही सही
ज़िंदगी का निशान है प्यारे

शर्म है एहतिराज़ है क्या है
पर्दा सा दरमियान है प्यारे

अर्ज़-ए-मतलब समझ के हो न ख़फ़ा
ये तो इक दास्तान है प्यारे

जंग छिड़ जाए हम अगर कह दें
ये हमारी ज़बान है प्यारे

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