जग की सजल कालिमा रजनी / जयशंकर प्रसाद

जग की सजल कालिमा रजनी में मुखचन्द्र दिखा जाओ .
ह्रदय अँधेरी झोली इनमे ज्योति भीख देने आओ .
प्राणों की व्याकुल पुकार पर एक मींड़ ठहरा जाओ .
प्रेम वेणु की स्वर- लहरी में जीवन – गीत सुना जाओ .

स्नेहालिंगन की लतिकाओं की झुरमुट छा जाने दो .
जीवन-धन ! इस जले जगत को वृन्दावन बन जाने दो .

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