क्षमा / अंजू शर्मा

वह गलत थी,
वह भी गलत था,
वे दोनों गलत थे,
उस अनुचित, निषिद्ध रास्ते पर
चलते चलते,
एक दिन सजा का मुक़र्रर हुआ,
वह पा गयी सजा अपने कुकृत्यों की
अप्सरा सी देह पल भर में बदल गयी
राख के अवांछित ढेर में,
ये तो होना ही था,
और पुरुष
वह आगे बढ़ गया
तब कहीं और,
एक अन्य स्त्री ने सीखा
क्षमादान महादान है…

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