क्यों बिसरै मेरा पीव पिया/ दादू दयाल

क्यों बिसरै मेरा पीव पियारा।
जीवकी जीवन प्राण हमारा॥टेक॥

क्यौंकर जीवै मीन जल बिछुरें, तुम बिन प्राण सनेही।
चिंतामणि जब करतैं छूटै, तब दुख पावै देही॥१॥

माता बालक दूध न देवै, सो कैसैं करि पीवै।
निरधनका धन अनत भुलाना, सो कैसे करि जीवै॥२॥

बरखहु राम सदा सुख अमिरत, नीझर निरमल धारा।
प्रेम पियाला भर भर दीजै, दादू दास तुम्हारा॥३॥

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