आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए / क़तील

आओ कोई तफरीह का सामान किया जाए
फिर से किसी वाईज़ को परेशान किया जाए॥

बे-लर्जिश-ए-पा मस्त हो उन आँखो से पी कर
यूँ मोह-त-सीबे शहर को हैरान किया जाए॥

हर शह से मुक्क्दस है खयालात का रिश्ता
क्यूँ मस्लिहतो पर इसे कुर्बान किया जाए॥

मुफलिस के बदन को भी है चादर की ज़रूरत
अब खुल के मज़रो पर ये ऐलान किया जाए॥

वो शक्स जो दीवानो की इज़्ज़त नहीं करता
उस शक्स का चाख-गरेबान किया जाए॥

पहले भी ‘कतील’ आँखो ने खाए कई धोखे
अब और न बीनाई का नुकसान किया जाए॥

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