तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के। हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥ सुमिरन लगन लगाय के मुख से कछु ना बोल रे। बाहर का पट बंद कर ले अंतर का पट खोल रे। माला फेरत जुग हुआ, गया ना मन का फेर रे। गया ना मन का फेर रे। हाथ का… Continue reading तूने रात गँवायी / कबीर
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नैया पड़ी मंझधार / कबीर
नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार॥ साहिब तुम मत भूलियो लाख लो भूलग जाये। हम से तुमरे और हैं तुम सा हमरा नाहिं। अंतरयामी एक तुम आतम के आधार। जो तुम छोड़ो हाथ प्रभुजी कौन उतारे पार॥ गुरु बिन कैसे लागे पार॥ मैं अपराधी जन्म को मन में भरा विकार। तुम दाता दुख… Continue reading नैया पड़ी मंझधार / कबीर
बीत गये दिन / कबीर
बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे भजन बिना रे॥ बाल अवस्था खेल गँवायो। जब यौवन तब मान घना रे॥ लाहे कारण मूल गँवायो। अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥ कहत कबीर सुनो भई साधो। पार उतर गये संत जना रे॥
भजो रे भैया / कबीर
भजो रे भैया राम गोविंद हरी। राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी॥ जप तप साधन नहिं कछु लागत खरचत नहिं गठरी॥ संतत संपत सुख के कारन जासे भूल परी॥ कहत कबीर राम नहीं जा मुख ता मुख धूल भरी॥
मन लाग्यो मेरो यार / कबीर
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥ जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥ भला बुरा सब का सुनलीजै कर गुजरान गरीबी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥ आखिर यह तन छार मिलेगा कहाँ फिरत मग़रूरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में॥ प्रेम नगर… Continue reading मन लाग्यो मेरो यार / कबीर
बहुरि नहिं / कबीर
बहुरि नहिं आवना या देस॥ टेक॥ जो जो ग बहुरि नहि आ पठवत नाहिं सँस॥ १॥ सुर नर मुनि अरु पीर औलिया देवी देव गनेस॥ २॥ धरि धरि जनम सबै भरमे हैं ब्रह्मा विष्णु महेस॥ ३॥ जोगी जंगम औ संन्यासी दिगंबर दरवेस॥ ४॥ चुंडित मुंडित पंडित लो सरग रसातल सेस॥ ५॥ ज्ञानी गुनी चतुर अरु… Continue reading बहुरि नहिं / कबीर
केहि समुझावौ / कबीर
केहि समुझावौ सब जग अन्धा॥ टेक॥ इक दु होयँ उन्हैं समुझावौं सबहि भुलाने पेटके धन्धा। पानी घोड पवन असवरवा ढरकि परै जस ओसक बुन्दा॥ १॥ गहिरी नदी अगम बहै धरवा खेवन-हार के पडिगा फन्दा। घर की वस्तु नजर नहि आवत दियना बारिके ढूँढत अन्धा॥ २॥ लागी आगि सबै बन जरिगा बिन गुरुज्ञान भटकिगा बन्दा। कहै… Continue reading केहि समुझावौ / कबीर
दिवाने मन / कबीर
दिवाने मन भजन बिना दुख पैहौ ॥ टेक॥ पहिला जनम भूत का पै हौ सात जनम पछिताहौ। काँटा पर का पानी पैहौ प्यासन ही मरि जैहौ॥ १॥ दूजा जनम सुवा का पैहौ बाग बसेरा लैहौ। टूटे पंख मॅंडराने अधफड प्रान गॅंवैहौ॥ २॥ बाजीगर के बानर हो हौ लकडिन नाच नचैहौ। ऊॅंच नीच से हाय पसरि… Continue reading दिवाने मन / कबीर
झीनी झीनी बीनी चदरिया / कबीर
झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी, कौन तार से बीनी चदरिया ॥ १॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी, सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३॥ साँ को सियत मास दस लागे, ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥ ४॥ सो… Continue reading झीनी झीनी बीनी चदरिया / कबीर
रे दिल गाफिल / कबीर
रे दिल गाफिल गफलत मत कर एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥ सौदा करने या जग आया पूजी लाया मूल गँवाया प्रेमनगर का अन्त न पाया ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥ सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता या जीवन में क्या क्या कीता सिर पाहन का बोझा लीता आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥ परलि पार तेरा मीता… Continue reading रे दिल गाफिल / कबीर