ऐसै मन लाइ लै राम रसनाँ, कपट भगति कीजै कौन गुणाँ॥टेक॥ ज्यूँ मृग नादैं बध्यौ जाइ, प्यंड परे बाकौ ध्याँन न जाइ। ज्यूँ जल मीन तेत कर जांनि, प्रांन तजै बिसरै नहीं बानि॥ भ्रिगी कीट रहै ल्यौ लाइ, ह्नै लोलीन भिंरग ह्नै जाइ॥ राम नाम निज अमृत सार, सुमिरि सुमिरि जन उतरे पार॥ कहै कबीर… Continue reading राग कल्याण / पद / कबीर
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राग माली गौड़ी / पद / कबीर
पंडिता मन रंजिता, भगति हेत त्यौ लाइ लाइ रे॥ प्रेम प्रीति गोपाल भजि नर, और कारण जाइ रे॥टेक॥ दाँम छै पणि कांम नाहीं, ग्याँन छै पणि अंध रे॥ श्रवण छै पणि सुरत नाहीं, नैन छै पणि अंध रे॥ जाके नाभि पदक सूँ उदित ब्रह्मा, चरन गंग तरंग रे॥ कहै कबीर हरि भगति बांछू जगत गुर… Continue reading राग माली गौड़ी / पद / कबीर
राग बसंत / पद / कबीर
सो जोगी जाकै सहज भाइ, अकल प्रीति की भीख खाइ॥टेक॥ सबद अनाहद सींगी नाद, काम क्रोध विषया न बाद। मन मुद्रा जाकै गुर को ग्यांन, त्रिकुट कोट मैं धरत ध्यान॥ मनहीं करन कौं करै सनांन, गुर को सबद ले ले धरै धियांन। काया कासी खोजै बास, तहाँ जोति सरूप भयौ परकास॥ ग्यांन मेषली सहज भाइ,… Continue reading राग बसंत / पद / कबीर
राग ललित / पद / कबीर
राम ऐसो ही जांनि जपी नरहरी, माधव मदसूदन बनवारी॥टेक॥ अनुदिन ग्यान कथै घरियार, धूवं धौलह रहै संसार। जैसे नदी नाव करि संग, ऐसै ही मात पिता सुत अंग॥ सबहि नल दुल मलफ लकीर, जल बुदबुदा ऐसा आहि सरीर। जिभ्या राम नाम अभ्यास, कहौ कबीर तजि गरम बास॥374॥ रसनां राम गुन रिस रस पीजै, गुन अतीत… Continue reading राग ललित / पद / कबीर
राग बिलावल / पद / कबीर
बार बार हरि का गुण गावै, गुर गमि भेद सहर का पावै॥टेक॥ आदित करै भगति आरंभ, काया मंदिर मनसा थंभ। अखंड अहनिसि सुरष्या जाइ, अनहद बेन सहज मैं पाइ॥ सोमवार ससि अमृत झरे, चाखत बेगि तपै निसतरै॥ बाँधी रोक्याँ रहै दुवार, मन मतिवाला पीवनहार॥ मंगलवार ल्यौ मांहीत, पंच लोक की छाड़ौ रीत॥ घर छाँड़ै जिनि… Continue reading राग बिलावल / पद / कबीर
राग भैरूँ / पृष्ठ – ४ / पद / कबीर
ताथैं, कहिये लोकोचार, बेद कतेब कथैं ब्योहार॥टेक॥ जारि बारि करि आवै देहा, मूंवां पीछै प्रीति सनेहा। जीवन पित्राहि गारहि डंगा, मूंवां पित्रा ले घालैं गंगा॥ जीवत पित्रा कूँ अन न ख्वावै, मूंवां पीछे ष्यंड भरावै॥ जीवत पित्रा कूँ बोलै अपराध, मूंवां पीछे देहि सराध॥ कहि कबीर मोहि अचिरज आवै, कउवा खाइ पित्रा क्यूँ पावै॥356॥ बाप… Continue reading राग भैरूँ / पृष्ठ – ४ / पद / कबीर
राग भैरूँ / पृष्ठ – ३ / पद / कबीर
क्या ह्नै तेरे न्हाई धाँई, आतम रांम न चीन्हा सोंई॥टेक॥ क्या घट उपरि मंजन कीयै, भीतरि मैल अपारा॥ राम नाम बिन नरक न छूटै, जे धोवै सौ बारा॥ का नट भेष भगवां बस्तर, भसम लगावै लोई। ज्यूँ दादुर सुरसरी जल भीतरि हरि बिन मुकति न होई॥ परिहरि काम राम कहि बौरे सुनि सिख बंधू मोरी।… Continue reading राग भैरूँ / पृष्ठ – ३ / पद / कबीर
राग भैरूँ / पृष्ठ – २ / पद / कबीर
राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे॥टेक॥ अंजन उतपति वो उंकार, अंजन मांड्या सब बिस्तार। अंजन ब्रह्मा शंकर ईद, अंजन गोपी संगि गोब्यंद॥ अंजन बाणी अंजन बेद, अंजन कीया नांनां भेद। अंजन विद्या पाठ पुरांन, अंजन फोकट कथाहिं गियांन॥ अंजन पाती अंजन देव, अंजन की करै अंजन सेव॥ अंजन नाचै अंजन गावै, अंजन भेष… Continue reading राग भैरूँ / पृष्ठ – २ / पद / कबीर
राग भैरूँ / पृष्ठ – १ / पद / कबीर
ऐसा ध्यान धरौ नरहरी सबद अनाहद च्यंत करी॥टेक॥ पहलो खोजौ पंचे बाइ, बाइ ब्यंद ले गगन समाइ। गगन जोति तहाँ त्रिकुटी संधि, रबि ससि पवनां मेलौ बंधि॥ मन थिर होइ न कवल प्रकासै, कवला माँहि निरंजन बासै। सतगुरु संपट खोलि दिखावै, निगुरा होइ तो कहाँ बतावै। सहज लछिन ले तजो उपाधि, आसण दिढ निद्रा पुनि… Continue reading राग भैरूँ / पृष्ठ – १ / पद / कबीर
राग टोड़ी / पद / कबीर
तू पाक परमानंदे। पीर पैकबर पनहु तुम्हारी, मैं गरीब क्या गंदे॥टेक॥ तुम्ह दरिया सबही दिल भीतरि, परमानंद पियारे। नैक नजरि हम ऊपरि नांहि, क्या कमिबखत हमारे॥ हिकमति करै हलाल बिचारै, आप कहांवै मोटे। चाकरी चोर निवाले हाजिर, सांई सेती खोटे॥ दांइम दूवा करद बजावै, मैं क्या करूँ भिखारी। कहै कबीर मैं बंदा तेरा, खालिक पनह… Continue reading राग टोड़ी / पद / कबीर