इस में ये दश्त था इस दश्त में मख़्लूक कब वारिद हुई ख़ुदा मालूम लेकिन सब बड़े बूढ़े ये कहते हैं उधर एक दश्त था जाने क्यूँ उन को यहाँ लम्बी क़तारों शहर की गुंजान गलियों दफ़्तरों शाह-राहों रास्तों और रेस्तोरानों जलसे जुलूसों रेलियों और ऐवाना हा-ए-बाला-ओ-ज़िरीं में ख़ुश-लिबासी के भरम में नाचती वहशत नज़र… Continue reading इस में ये दश्त था / ख़ालिद कर्रार
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वुरूद-ए-जिस्म था जाँ का अज़ाब होने लगा / ख़ालिद कर्रार
वुरूद-ए-जिस्म था जाँ का अज़ाब होने लगा लहू में उतरा मगर ज़हर आब होने लगा कोई तो आए सुनाए नवेद-ए-ताज़ा मुझे उठो के हश्र से पहले हिसाब होने लगा उसे शुबह है झुलस जाएगा वो साथ मेरे मुझे ये ख़ौफ के मैं आफताब होने लगा फिर उस के सामने चुप की कड़ी लबों पे लगी… Continue reading वुरूद-ए-जिस्म था जाँ का अज़ाब होने लगा / ख़ालिद कर्रार
सहरा सागर सब पानी / ख़ालिद कर्रार
सहरा सागर सब पानी सब्ज़ा बंजर सब पानी अव्वल अव्वल पानी था आख़र आख़र सब पानी पानी पानी शहर-पनाह मस्जिद मंदर सब पानी कोई दिन ऐसा होगा सहरा सागर सब पानी मुस्तक़बिल मिट्टी का ढेर माज़ी खंडर सब पानी आग धमाके ख़ून धुआँ नेज़े लश्कर सब पानी सारी दुनिया डाँवा डोल धरती सागर सब पानी… Continue reading सहरा सागर सब पानी / ख़ालिद कर्रार
सफ़र रस्ता सऊबत ख़्वाब सहरा / ख़ालिद कर्रार
सफ़र रस्ता सऊबत ख़्वाब सहरा समंदर वाहिमा ख़ूनाब सहरा सफ़ीने बारिशें तूफ़ान मौसम जज़ीरे कश्तियाँ सैलाब सहरा मुसाफ़िर रेत डंठल प्यास पानी खजूरें बाग़ घर तालाब सहरा कलीसा मौलवी रहिब पुजारी कलस मीनार बुत मेहराब सहरा मशीनें घर धुआँ गंदुम क़तारें मुलाज़िम नींद बच्चे ख़्वाब सहरा ज़मीं पत्थर शजर नहरें किनारे ख़ला नक़्शें हदें गिर्दाब… Continue reading सफ़र रस्ता सऊबत ख़्वाब सहरा / ख़ालिद कर्रार
सबा की ख़ाक-नवर्दी सुबू की वीरानी / ख़ालिद कर्रार
सबा की ख़ाक-नवर्दी सुबू की वीरानी तुम्हारे बाद हुई आरज़ू की वीरानी तेरे बग़ैर मेरे हौसले ज़वाल-पज़ीर तेरे बग़ैर मेरी जुस्तुजू की वीरानी शुमार-ए-उम्र-ए-गुरेज़ाँ हिसाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद वज़ू की ख़ाना-पुरी थी लहू की वीरानी हर एक दश्त पुराना सराब-ए-जाँ की तरह हर एक शहर नया आबरू की वीरानी तुम्हारे साथ से मेरे सुख़न की शीरीनी तुम्हारे बाद… Continue reading सबा की ख़ाक-नवर्दी सुबू की वीरानी / ख़ालिद कर्रार
रवाँ है मौज-ए-फ़ना जिस्म ओ जाँ उतार मुझे / ख़ालिद कर्रार
रवाँ है मौज-ए-फ़ना जिस्म ओ जाँ उतार मुझे उतार अब के सर-ए-आसमाँ उतार मुझे मेरा वजूद समंदर के इजि़्तराब में है के खुल रहा है तेरा बाद-बाँ उतार मुझे बहुत अज़ीज़ हूँ ख़ारान-ए-ताज़ा-कार को मैं बहुत उदास है दश्त-ए-जवाँ उतार मुझे कोई जज़ीरा जहाँ हस्त ओ बूद हो न फ़ना वजूद हो न ज़माना वहाँ… Continue reading रवाँ है मौज-ए-फ़ना जिस्म ओ जाँ उतार मुझे / ख़ालिद कर्रार
किसी के ख़्वाब को एहसास से बाँधा हुआ है / ख़ालिद कर्रार
किसी के ख़्वाब को एहसास से बाँधा हुआ है बहुत पुख़्ता बहुत ही पास से बाँधा हुआ है हमारे तख़्त को मशरूत कर रखा है उस ने हमारे ताज को बन-बास से बाँधा हुआ है सियाही उम्र भर मेरे तआकुब में रहेगी के मैं ने जिस्म को क़िरतास से बाँधा हुआ है मेरे इसबात की… Continue reading किसी के ख़्वाब को एहसास से बाँधा हुआ है / ख़ालिद कर्रार
इम्कान से बाहर अभी आसार से आगे / ख़ालिद कर्रार
इम्कान से बाहर अभी आसार से आगे महशर है मेरे दीदा-ए-ख़ूँ-बार से आगे इरफ़ान की हद या मेरे पैकर की शरारत निकला मेरा साया मेरी दस्तार से आगे इक ज़िंस-ज़दा नस्ल है तहज़ीब के पीछे बाज़ार है इक कूचा ओ बाज़ार से आगे सूरज है शब ओ रोज़ तआक़ुब में वगरना है और बहुत रात… Continue reading इम्कान से बाहर अभी आसार से आगे / ख़ालिद कर्रार
है मोल-भाव में बाज़ार मे है साथ मेरे / ख़ालिद कर्रार
है मोल-भाव में बाज़ार मे है साथ मेरे वो एक कार-ए-फ़ना-ज़ार में है साथ मेरे सलीब-ए-जाँ से विसाल आसमाँ के साहिल तक हर एक लज़्ज़त-आज़ार में है साथ मेरे कभी तो हीरो बनाता है और कभी जोकर हर एक रंग के किरदार में है साथ मेरे यही बहुत है मेरे जिस्म ओ जाँ का हिस्सा… Continue reading है मोल-भाव में बाज़ार मे है साथ मेरे / ख़ालिद कर्रार
धुआँ शोरिश रवानी बे-यक़ीनी / ख़ालिद कर्रार
धुआँ शोरिश रवानी बे-यक़ीनी हवा रफ़्तार पानी बे-यक़ीनी ख़ला इंसान वहशत ख़ाक हिजरत मकाँ रस्ते निशानी बे-यक़ीनी अज़ल बाबील रावी ख़ून आदम अब क़ाबील सानी बे-यक़ीनी अज़ल ख़ाली ख़ला अंजाम आख़िर अबद आबाद फ़ानी बे-यक़ीनी बदन आगोश रस्ता काम गंदुम दवा बच्चे जवानी बे-यक़ीनी फ़ज़ा रौशन अँधेरा जश्न गलियाँ ख़ुशी मातम कहानी बे-यक़ीनी मसाजिद शंख… Continue reading धुआँ शोरिश रवानी बे-यक़ीनी / ख़ालिद कर्रार