रांम राइ का कहिये यहु ऐसी / रैदास

रांम राइ का कहिये यहु ऐसी। जन की जांनत हौ जैसी तैसी।। टेक।। मीन पकरि काट्यौ अरु फाट्यौ, बांटि कीयौ बहु बांनीं। खंड खंड करि भोजन कीन्हौं, तऊ न बिसार्यौ पांनी।।१।। तै हम बाँधे मोह पासि मैं, हम तूं प्रेम जेवरिया बांध्यौ। अपने छूटन के जतन करत हौ, हम छूटे तूँ आराध्यौ।।२।। कहै रैदास भगति… Continue reading रांम राइ का कहिये यहु ऐसी / रैदास

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इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे / रैदास

इहै अंदेसा सोचि जिय मेरे। निस बासुरि गुन गाँऊँ रांम तेरे।। टेक।। तुम्ह च्यतंत मेरी च्यंता हो न जाई, तुम्ह च्यंतामनि होऊ कि नांहीं।।१।। भगति हेत का का नहीं कीन्हा, हमारी बेर भये बल हीनां।।२।। कहै रैदास दास अपराधी, जिहि तुम्ह ढरवौ सो मैं भगति न साधी।।३।।

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बपुरौ सति रैदास कहै / रैदास

बपुरौ सति रैदास कहै। ग्यान बिचारि नांइ चित राखै, हरि कै सरनि रहै रे।। टेक।। पाती तोड़ै पूज रचावै, तारण तिरण कहै रे। मूरति मांहि बसै परमेसुर, तौ पांणी मांहि तिरै रे।।१।। त्रिबिधि संसार कवन बिधि तिरिबौ, जे दिढ नांव न गहै रे। नाव छाड़ि जे डूंगै बैठे, तौ दूणां दूख सहै रे।।२।। गुरु कौं… Continue reading बपुरौ सति रैदास कहै / रैदास

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पार गया चाहै सब कोई / रैदास

पार गया चाहै सब कोई। रहि उर वार पार नहीं होई।। टेक।। पार कहैं उर वार सूँ पारा, बिन पद परचै भ्रमहि गवारा।।१।। पार परंम पद मंझि मुरारी, तामैं आप रमैं बनवारी।।२।। पूरन ब्रह्म बसै सब ठाइंर्, कहै रैदास मिले सुख सांइंर्।।३।।

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ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं / रैदास

ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं। हिरदै राम गौब्यंद गुन सारं।। टेक।। सुरसुरी जल लीया क्रित बारूणी रे, जैसे संत जन करता नहीं पांन। सुरा अपवित्र नित गंग जल मांनियै, सुरसुरी मिलत नहीं होत आंन।।१।। ततकरा अपवित्र करि मांनियैं, जैसें कागदगर करत बिचारं। भगत भगवंत जब ऊपरैं लेखियैं, तब पूजियै करि नमसकारं।।२।। अनेक अधम जीव नांम… Continue reading ऐसी मेरी जाति भिख्यात चमारं / रैदास

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भाई रे सहज बन्दी लोई / रैदास

भाई रे सहज बन्दी लोई, बिन सहज सिद्धि न होई। लौ लीन मन जो जानिये, तब कीट भंृगी होई।। टेक। आपा पर चीन्हे नहीं रे, और को उपदेस। कहाँ ते तुम आयो रे भाई, जाहुगे किस देस।।१।। कहिये तो कहिये काहि कहिये, कहाँ कौन पतियाइ। रैदास दास अजान है करि, रह्यो सहज समाइ।।२।।

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माटी को पुतरा कैसे नचतु है / रैदास

माटी को पुतरा कैसे नचतु है। देखै देखै सुनै बोलै दउरिओ फिरतु है।। टेक।। जब कुछ पावै तब गरबु करतु है। माइआ गई तब रोवनु लगतु है।।१।। मन बच क्रम रस कसहि लुभाना। बिनसि गइआ जाइ कहूँ समाना।।२।। कहि रविदास बाजी जगु भाई। बाजीगर सउ मोहि प्रीति बनि आई।।३।।

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हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे / रैदास

हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरे। हरि सिमरत जन गए निसतरि तरे।। टेक।। हरि के नाम कबीर उजागर। जनम जनम के काटे कागर।।१।। निमत नामदेउ दूधु पीआइया। तउ जग जनम संकट नहीं आइआ।।२।। जनम रविदास राम रंगि राता। इउ गुर परसादि नरक नहीं जाता।।३।।

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तुझहि चरन अरबिंद / रैदास

तुझहि चरन अरबिंद भँवर मनु। पान करत पाइओ, पाइओ रामईआ धनु।। टेक।। कहा भइओ जउ तनु भइओ छिनु छिनु। प्रेम जाइ तउ डरपै तेरो जनु।।१।। संपति बिपति पटल माइआ धनु। ता महि भगत होत न तेरो जनु।।२।। प्रेम की जेवरी बाधिओ तेरो जन। कहि रविदास छूटिबो कवन गुनै।।३।।

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संत ची संगति संत कथा रसु / रैदास

संत ची संगति संत कथा रसु। संत प्रेम माझै दीजै देवा देव।। टेक।। संत तुझी तनु संगति प्रान। सतिगुर गिआन जानै संत देवा देव।।१।। संत आचरण संत चो मारगु। संत च ओल्हग ओल्हगणी।।२।। अउर इक मागउ भगति चिंतामणि। जणी लखावहु असंत पापी सणि।।३।। रविदास भणै जो जाणै सो जाणु। संत अनंतहि अंतरु नाही।।४।।

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