रात घनी हो चुकी है काफ़ी धुंध भी काफ़ी घनी-घनी है लैम्प-पोस्ट कोहरे में लिपटा ख़ामोशी से ऊँघ रहा है तन्हा पहली मंज़िल से वो झाँक रही है खिड़की से कॉफ़ी का मग भरा हुआ है उसकी ख़ातिर जिसको अब तक आ जाना था आठ बजे तक कहा था उसने आठ बजे तक आ जाएगा… Continue reading कॉफ़ी / ‘ज़िया’ ज़मीर
Category: Zia Zameer
अजब लड़की है वो लड़की / ‘ज़िया’ ज़मीर
अजब लड़की है वो लड़की हमेशा रूठ जाती है कहा करती है यह मुझसे सुनो जानूँ मौहब्बत ख़ूब कहते हो मगर यह कैसी ज़िद है जुबाँ से कुछ नहीं कहते मुझे लगता है जैसे तुम पज़ीराई के दो जुम्ले जुबाँ पर रखने भर से ही परेशाँ हो से जाते हो या फिर उकता से जाते… Continue reading अजब लड़की है वो लड़की / ‘ज़िया’ ज़मीर