जिस का बदन है खुश्बू जैसा जिस की चाल सबा सी है उस को ध्यान में लाऊँ कैसे वो सपनों का बासी है फूलों के गजरे तोड़ गई आकाश पे शाम सलोनी शाम वो राजा ख़ुद कैसे होंगे जिन की ये चंचल दासी है काली बदरिया सीप सीप तो बूँद बूँद से भर जाएगा देख… Continue reading जिस का बदन है खुश्बू जैसा जिस की चाल सबा सी है / यूसुफ ज़फर
Category: Yousuf Zafar
ऐ बे-ख़बरी जी का ये क्या हाल है काल से / यूसुफ ज़फर
ऐ बे-ख़बरी जी का ये क्या हाल है काल से रोने में मज़ा है न बहलाता है ग़ज़ल से इस शहर की दीवारों में है क़ैद मिरा ग़म ये दश्त की पहनाई में हैं यादों के जलसे बातों से सिवा होती है कुछ वहशत-ए-दिल और अहबाब परेशाँ है मिरे तर्ज़-ए-अमल से तन्हाई की ये शाम… Continue reading ऐ बे-ख़बरी जी का ये क्या हाल है काल से / यूसुफ ज़फर