ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’

ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी महानगर के बीच ! यहाँ तरक्की की परिभाषा यातायात सघन और अतिक्रमण, अख़बारों में जैसे विज्ञापन नहीं सुरक्षित कोई भी अब यहाँ सफ़र के बीच ! हर दिन दूना, रात चौगुना शहर हुआ बढ़कर और प्रदूषण बनकर फ़ैला कालोनी कल्चर कहीं खो गया लगता अपना घर नंबर के बीच ! ख्याति… Continue reading ढूँढ़ रहे हम पीतलनगरी / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’

छोटा बच्चा पूछ रहा है कल के बारे में / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’

छोटा बच्चा पूछ रहा है कल के बारे में साज़िश रचकर भाग्य समय ने कुछ ऐसे बाँटा कृष्ण-पक्ष है, आँधी भी है पथ पर सन्नाटा कौन किसे अब राह दिखाए इस अँधियारे में अन्र्तर्ध्यान हुए थाली से रोटी दाल सभी कहीं खो गए हैं जीवन के सुर-लय-ताल सभी लगता ढूँढ रहे आशाएँ ज्यों इकतारे में… Continue reading छोटा बच्चा पूछ रहा है कल के बारे में / योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’