किसकी आवाज़ कान में आई / यगाना चंगेज़ी

किसकी आवाज़ कान में आई दूर की बात ध्यान में आयी आप आते रहे बुलाते रहे आने वाली एक आन में आयी यह किनारा चला कि नाव चली कहिये क्या बात ध्यान में आयी! इल्म क्या इल्म की हकीक़त क्या जैसी जिसके गुमान में आयी आँख नीचे हुई अरे यह क्या यूं गरज़ दरम्यान में… Continue reading किसकी आवाज़ कान में आई / यगाना चंगेज़ी

शे’र / यगाना चंगेज़ी

फिरते हैं भेस में हसीनों के। कैसे-कैसे डकैत थांग-की-थांग॥ आह! यह बन्दये-ग़रीब आपसे लौ लगाये क्यों? आ न सके जो वक़्त पर, वक़्त पै याद आये क्यों?? दीद की इल्तजा करूँ? तिश्ना ही क्यों न जान दूँ? परदयेनाज़ खुद उठे, दस्ते-दुआ उठायें क्यों?? बदल न जाय ज़माने के साथ नीयत भी। सुना तो होगा जवानी… Continue reading शे’र / यगाना चंगेज़ी