उदास रातों में तेज़ काफ़ी की तल्ख़ियों में / वसी शाह

उदास रातों में तेज़ काफ़ी की तल्ख़ियों में वो कुछ ज़ियादा ही याद आता है सर्दियों में मुझे इजाज़त नहीं है उस को पुकारने की जो गूँजता है लहू में सीने की धड़कनों में वो बचपना जो उदास राहों में खो गया था मैं ढूँढता हूँ उसे तुम्हारी शरारतों में उसे दिलासे तो दे रहा… Continue reading उदास रातों में तेज़ काफ़ी की तल्ख़ियों में / वसी शाह

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आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ / वसी शाह

आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ काँधों पे ग़म की शाल है और चाँद रात है दिल तोड़ के ख़मोश नज़ारों का क्या मिला शबनम का ये सवाल है और चाँद रात है कैम्पस की नहर पर है तिरा हाथ हाथ में मौसम भी ला-ज़वाल है और चाँद रात है हर इक कली… Continue reading आँखों में चुभ गईं तिरी यादों की किर्चियाँ / वसी शाह

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