बड़े मियाँ / वसु मालवीय

बड़े मियाँ की क्या पहचान? छोटा-सा मँुह, लंबे कान! मूँछ नुकीली, ऐनक गोल, डिब्बे-सा मुँह देते खोल, पिच्च-पिच्च कर थूकें पान! यों तो नाक सुपाड़ी-सी, बजती छुक-छुक गाड़ी-सी, लेते सिर पर चादर तान! कहीं ईद, बैशाखी है, होली, क्रिसमस, राखी है, सबके साथ मिलाते तान! बड़े मियाँ अच्छे इनसान, यही सही उनकी पहचान, मिलें आपको,… Continue reading बड़े मियाँ / वसु मालवीय

भालू हुआ वकील / वसु मालवीय

बी.ए. ओर एल-एल.बी. पढ़कर भालू हुआ वकील, फर्राटे से लंबी-चौड़ी देने लगा दलील। जैसे टहल रहा जंगल में वैसे चला कचहरी, रस्ते में ही लगी टोकने उसको ढीठ गिलहरी। बोली,‘दादा, पहले काला- कोट सिलाकर आना, तभी कचहरी जाकर तुम अपना कानून दिखाना!’ भालू हँसा ठठाकर, बोला- ‘तुमको क्या समझाऊँ, जनम लिया ही कोट पहनकर अब… Continue reading भालू हुआ वकील / वसु मालवीय

प्यारी नानी / वसु मालवीय

मम्मी की भी मम्मी हैये अपनी प्यारी नानी, दुलरा देती जब हम करते- हैं कोई शैतानी। नहीं मारती, नहीं डाँटती बिल्कुल सीधी सादी, उतनी ही बुढ़ी है, जितनी- बूढ़ी मेरी दादी। लोरी गाकर कभी सुलाती- या फिर परी कहानी! बाँच-बाँच लेती रामायण- की पोथी घंटे भर, खेल-कूद कर गुड़िया लौटी मिट्टी पोते मुँह पर। हँसती-हँसती… Continue reading प्यारी नानी / वसु मालवीय