माथे पर झुर्रियाँ झलकने लगी हैं ये चिन्ता की हैं या उम्र की… पर चेहरे पर प्रौढ़ता का अहसास कराती हैं ये हर बुजुर्ग के चहरे पर बल खाते हुए देखी जा सकती हैं यह सुखों का कटाव है या दुखों का हिसाब कहा नहीं जा सकता किसी बूढ़ी माँ के ललाट पर संवेदना का… Continue reading झुर्रियाँ / त्रिजुगी कौशिक
Category: Trijugi Kaushik
मुनगे का पेड़ / त्रिजुगी कौशिक
घर की बाड़ी में मुनगे क एक पेड़ है वह गाहे-बगाहे की साग प्रसूता के लिए तो पकवान है मकान बनाने के लिए उसे काटना था पर किसी की हिम्मत नहीं उसमें बसी हैं माँ की स्मृतियाँ जैसे नीम्बू के पेड़ में दीदी की पिताजी की– तालाब में लगाए बड़ में नतमस्तक हो जाता है… Continue reading मुनगे का पेड़ / त्रिजुगी कौशिक