विदेशी वस्त्र / त्रिभुवन नाथ आज़ाद ‘सैनिक’

सितमगर की हस्ती मिटानी पड़ेगी, हमें अपनी करके दिखानी पड़ेगी। कभी उफ़ न लाएंगे अपनी जुबां पर, मुसीबत सभी कुछ उठानी पड़ेगी। बहुत हो चुका, अब सहें हम कहां तक, ये बेईमानी सारी हटानी पड़ेगी। विदेशी वसन और नशे की जिनिस पर, हमें अब पिकेटिंग करानी पड़ेगी। नमक को बनाकर और कर बंद करके, आज़ादी… Continue reading विदेशी वस्त्र / त्रिभुवन नाथ आज़ाद ‘सैनिक’