shripati Archive
फूले आसपास कास विमल अकास भयो, रही ना निसानी कँ महि में गरद की। गुंजत कमल दल ऊपर मधुप मैन, छाप सी दिखाई आनि विरह फरद की॥ ‘श्रीपति’ रसिक लाल आली बनमाली बिन, कछू न उपाय मेरे दिल के दरद …
जल भरे झूमैं मानौं भूमैं परसत आप, दसँ दिसान घूमैं दामिनी लये लये। धूर धार धूसरित धूम से धुँधारे कारे, घोर धुरवान धाकैं छवि सों छये छये॥ ‘श्रीपति सुकवि कहैं घरी घरी घहरात, तावत अतन तन ताप सों तये तये। …
बैठी अटा पर, औध बिसूरत पाये सँदेस न ‘श्रीपति पी के। देखत छाती फटै निपटै, उछटै जब बिज्जु छटा छबि नीके॥ कोकिल कूकैं, लगै मन लूकैं, उठैं हिय कैं, बियोगिनि ती के। बारि के बाहक, देह के दाहक, आये बलाहक …