हुआ सवेरा जागो भैया, खड़ी पुकारे प्यारी मैया। हुआ उजाला छिप गए तारे, उठो मेरे नयनों के तारे। चिड़िया फुर-फुर फिरती डोलें, चोंच खोलकर चों-चों बोलें। मीठे बोल सुनावे मैना, छोड़ो नींद, खोल दो नैना। गंगाराम भगत यह तोता, जाग पड़ा है, अब नहीं सोता। राम-राम रट लगा रहा है, सोते जग को जगा रहा… Continue reading उठो भई उठो / श्रीधर पाठक
Category: Shridhar Pathak
कुक्कुटी / श्रीधर पाठक
कुक्कुट इस पक्षी का नाम, जिसके माथे मुकुट ललाम। निकट कुक्कुटी इसकी नार, जिस पर इसका प्रेम अपार। इनका था कुटुम परिवार, किंतु कुक्कुटी पर सब भार। कुक्कुट जी कुछ करें न काम, चाहें बस अपना आराम। चिंता सिर्फ इसकी को एक, घर के धंधे करें अनेक। नित्य कई एक अंडे देय, रक्षित रक्खे उनको… Continue reading कुक्कुटी / श्रीधर पाठक