सौ हाथी नाचें / श्रीप्रसाद

सौ हाथी यदि नाच दिखाएँ यह हो कितना अच्छा, नाच देखने को आएगा तब तो बच्चा-बच्चा धम्मक – धम्मक पाँव उठेंगे सूँडें झम्मक – झम्मक उछल – उछल हाथी नाचेंगे छम्मक – छम्मक – छम्मक। जो देखेगा हँसते-हँसते पेट फूल जाएगा, देख-देख करके सौ हाथी बड़ा मज़ा आएगा। ऐसा नाच कहीं भी जो हो उसे… Continue reading सौ हाथी नाचें / श्रीप्रसाद

दही-बड़ा / श्रीप्रसाद

सारे चूहों ने मिल-जुलकर एक बनाया दही-बड़ा, सत्तर किलो दही मँगाया फिर छुड़वाया दही-बड़ा! दिन भर रहा दही के अंदर बहुत बड़ा वह दही-बड़ा, फिर चूहों ने उसे उठाकर दरवाजे से किया खड़ा। रात और दिन दही बड़ा ही अब सब चूहे खाते हैं, मौज मनाते गाना गाते कहीं न घर से जाते हैं!

बिल्ली का जुकाम / श्रीप्रसाद

बिल्ली बोली-बड़ी जोर का- मुझको हुआ जुकाम, चूहे चाचा, चूरन दे दो जल्दी हो आराम! चूहा बोला-बतलाता हूँ एक दवा बेजोड़, अब आगे से चूहे खाना बिल्कुल ही दो छोड़!

बड़ी बुआ / श्रीप्रसाद

खाने को दो खीर कदम खाने को दो मालपुआ, खाने को देना पेड़े माँग रही हैं बड़ी बुआ! बड़ी बुआ ने खाया सब बड़े पलँग पर बैठीं अब। अब क्या लेंगी बड़ी बुआ, शायद माँगेंगी हलुआ।

मुर्गे की शादी / श्रीप्रसाद

ढम-ढम, ढम-ढम ढोल बजाता कूद-कूदकर बंदर, छम-छम घुँघरू बाँध नाचता भालू मस्त कलंदर! कुहू-कुहू-कू कोयल गाती मीठा मीठा गाना, मुर्गे की शादी में है बस दिन भर मौज उड़ाना!

बड़ा मजा आता / श्रीप्रसाद

रसगुल्लों की खेती होती, बड़ा मजा आता। चीनी सारी रेती होती, बड़ा मजा आता। बाग लगे चमचम के होते, बड़ा मजा आता। शरबत के सब बहते सोते, बड़ा मजा आता। चरागाह हलवे का होता, बड़ा मजा आता। हर पर्वत बरफी का होता। बड़ा मजा आता। लड्डू की सब खानें होतीं, बड़ा मजा आता। दुनिया घर… Continue reading बड़ा मजा आता / श्रीप्रसाद

हाथी चल्लम-चल्लम / श्रीप्रसाद

हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम हम बैठे हाथी पर, हाथी हल्लम हल्लम लंबी लंबी सूँड़ फटाफट फट्टर फट्टर लंबे लंबे दाँत खटाखट खट्टर खट्टर भारी भारी मूँड़ मटकता झम्मम झम्मम हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम पर्वत जैसी देह थुलथुली थल्लल थल्लल हालर हालर देह हिले जब हाथी चल्लल खंभे जैसे पाँव धपाधप पड़ते… Continue reading हाथी चल्लम-चल्लम / श्रीप्रसाद

दीवाली दीप / श्रीप्रसाद

दीप जले दीवाली दीप हैं जले नन्हें बच्चे प्रकाश के ये मचले आँगन मुँडेर सजा द्वार सजा है लहराती दीपक की ज्योति ध्वजा है धरती पर जगर मगर तारे निकले दीप जले दीवाली दीप हैं जले दीप रखे हैं हमने ही धरती पर ज्योति सदा सबको लगती है सुंदर तीर चले अँधियारा स्वयं ही गले… Continue reading दीवाली दीप / श्रीप्रसाद

सुबह / श्रीप्रसाद

सूरज की किरणें आती हैं, सारी कलियाँ खिल जाती हैं, अंधकार सब खो जाता है, सब जग सुन्दर हो जाता है चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर, बहते हैं उनके मीठे स्वर, ठंडी-ठंडी हवा सुहानी, चलती है जैसी मस्तानी ये प्रातः की सुख बेला है, धरती का सुख अलबेला है, नई ताज़गी नई कहानी, नया जोश… Continue reading सुबह / श्रीप्रसाद