ख़ुशी बेइंतहा जब भी कभी महसूस होती है तुम्हें भी आँख में तब क्या नमी महसूस होती है ? कभी फुरकत भी जाँ परवर लगे, होता है ऐसा भी कभी कुर्बत में कुर्बत की कमी महसूस होती है मिले शोहरत, मिले दौलत, तमन्ना कोई पूरी हो ख़ुशी कैसी भी हो, बस दो घड़ी महसूस होती… Continue reading तुम्हें भी आँख में तब क्या नमी महसूस होती है ? / श्रद्धा जैन
Category: Shraddha Jain
न मंज़िल का, न मकसद का , न रस्ते का पता है / श्रद्धा जैन
न मंज़िल का, न मकसद का , न रस्ते का पता है हमेशा दिल किसी के पीछे ही चलता रहा है थे बाबस्ता उसी से ख्वाब, ख्वाहिश, चैन सब कुछ ग़ज़ब, अब नींद पर भी उसने कब्ज़ा कर लिया है बसा था मेरी मिट्टी में , उसे कैसे भुलाती मगर देखो न आखिर ये करिश्मा… Continue reading न मंज़िल का, न मकसद का , न रस्ते का पता है / श्रद्धा जैन