आधे गोरे आधे काले, आए मिस्टर मोती, एक टाँग में पहन पजामा, एक टाँग में धोती। एक पैर में जूता पहने, एक पैर में मौजा, एक हाथ में रोटी पकड़े, एक हाथ में गोज़ा। एक बाँह में अचकन डाले, एक बाँह में कोट, रोकर माँगे मक्खन-बिस्कुट, हँस माँगे अखरोट। कंधे पर तो पड़ा जनेऊ, मगर… Continue reading मिस्टर मोती / सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
Category: Satya Prakash Kulshreshtha
एक कहानी / सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
सुनी सुनाई या मनमानी, कहो कहानी, तुम्हें सुनानी, जोर-जोर से कही कहानी। ‘हूँ हूँ’ होवे अहो कहानी, चुप-चुप, चुप-चुप सुनो कहानी। पोदा रानी, पोदा रानी, चूल्हे की थी वह दौरानी। एक रोज की तुम सुन पाओ, कान इधर को अपना लाओ। चूल्हे में जब आग जल रही धधक-धधककर धूँ, कान इधर को अपना लाओ काना-बाती… Continue reading एक कहानी / सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
साग पकाया / सत्य प्रकाश कुलश्रेष्ठ
बंदर गया खेत में भाग, चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग। आग जला कर चट्टर-मट्टर, साग पकाया खद्दर-बद्दर। सापड़-सूपड़ खाया खूब, पोंछा मु हूँह उखाड़ कर दूब। चलनी बिछा, ओढ़कर सूप, डटकर सोए बंदर भूप!