फ़ेसबुक / संजय कुंदन

यह तुम्हारी इच्छाओं का आसमान नहीं आंकड़ों का समुद्र है ज्यों ही तुम उतरते हो इसमें एक नजर तुम्हारे पीछे लग जाती है जो तैरती रहती है तुम्हारे साथ जब तुम खोलने लगते हो मन की गांठें वह चौकन्नी हो जाती है वह दर्ज करती है तुम्हारी धड़कन तुम्हारे रक्त में कामनाओं की उछाल माप… Continue reading फ़ेसबुक / संजय कुंदन

दासता / संजय कुंदन

दासता के पक्ष में दलीलें बढ़ती जा रही थीं अब ज़ोर इस बात पर था कि इसे समझदारी, बुद्धिमानी या व्यावहारिकता कहा जाए जैसे कोई नौजवान अपने नियन्ता के प्रलाप पर अभिभूत होकर ताली बजाता था तो कहा जाता था लड़का समझदार है कुछ लोग जब यह लिख कर दे देते थे कि वे वेतन… Continue reading दासता / संजय कुंदन