धूप / सफ़दर इमाम क़ादरी

सूखे और ऊँचे पहाड़ों को मटियाले रंगों की चमक दे जाती है अपनी पहाड़ी से अलग दूसरी पहाड़ी पर सुरमई हो जाती है उचटती नज़र डालो तो धुआँ-धुआँ बादलों की छाँव की तरह दिखाई देती है नंगी आँखों से देखो तो लूट लेने या खा जाने को जी चाहे ऐसी रौशन और चमकदार बदन के… Continue reading धूप / सफ़दर इमाम क़ादरी