समुद्र को मथ कर लोग सुरा भी ले गए और सुधा भी घोड़े भी ले गए और हाथी भी लक्ष्मी भी ले गए और जड़ी-बूटी संभालकर वैद्यराज धन्वन्तरि भी रफू-चक्कर हो गए समुद्र को उस क्षण मर जाने की इच्छा हुई पर हाय। उसके हिस्से में तो हलाहल भी नहीं बचा
Category: Pankaj Parimal
समुद्र-1 / पंकज परिमल
सबसे ज्यादा मुश्किल समुद्र के सामने थी उसके पास तो सभी आते थे पर उसे कहीं जाना नहीं था उसके पास सबसे ज्यादा रत्न थे और उसकी छाती पर सबसे ज्यादा डाकुओं के जहाज सूरज उसे सोखता था तो मौज आती थी पोखरों, तालाबों और नदियों की नदियां तो उसका हिस्सा ईमानदारी से ले आती… Continue reading समुद्र-1 / पंकज परिमल