कुछ चीज़ें अब भी अच्छी हैं / पंकज चतुर्वेदी

कुछ चीज़ें अब भी अच्छी हैं न यात्रा अच्छी है न ट्रेन के भीतर की परिस्थिति लेकिन गाड़ी नम्बर गाड़ी के आने और जाने के समय की सूचना देती तुम्हारी आवाज़ अच्छी है कुछ चीज़ें अब भी अच्छी हैं

न मेरे पास / पंकज चतुर्वेदी

न मेरे पास मोरपंख का मुकुट था न धनुष तोड़ने का पराक्रम कंठ भी निरा कंठ ही था किसी के ज़हर से नीला न हो सका क्षीरसागर में बिछी हुई सुखद शय्या नहीं थी नहीं थी सम्पत्ति से मैत्री देवताओं में इर्ष्या जगानेवाली ऐसी तपस्या न थी जिसे भंग करने के लिए तुम्हारे प्रेम का… Continue reading न मेरे पास / पंकज चतुर्वेदी