फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा वही अफ़्साना-ए-हस्ती का मीर-ए-दास्ताँ होगा यक़ीं जिस का कलाम-ए-क़ुद्स अज्र-उल-मुहसेनीं पर हो निक-कारी का उस की क़ाएल इक दिन कुल जहाँ होगा हयात-ए-जावेदनी पाएगा वो इश्क़-ए-सादिक़ में जो अनक़ा की तरह मादूम होगा बे-निशाँ होगा सफ़र राह-ए-मोहब्बत का चहल-क़दमी समझते हो अभी देखोगे तुम… Continue reading फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा / पंडित बृज मोहन दातातर्या कैफ़ी
Category: Pandit Brij Mohan Dattareya ‘Kaifi”
ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं / पंडित बृज मोहन दातातर्या कैफ़ी
ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं सच अगर पूछो तो सच्चा आश्ना मिलता नहीं आप के जो यार बनते हैं वो हैं मतलब के यार इस ज़माने में मुहिब्ब-ए-बा-सफ़ा मिलता नहीं सीरतों में भी है इंसानों की बाहम इख़्तिलाफ़ एक के सूरत में जैसे दूसरा मिलता नहीं दैर ओ काबा में… Continue reading ढूँढने से यूँ तो इस दुनिया में क्या मिलता नहीं / पंडित बृज मोहन दातातर्या कैफ़ी