भारत में एक दिल्ली है, जहाँ क़ुतुब की बिल्ली है। दिल्ली के कुछ हिस्से हैं, सबके अपने किस्से हैं। एक पुरानी एक नई, दोनों सम्मुख देख गई। कनाट प्लेस है एक यहाँ, चलते हैं दिलफेंक यहाँ। ये गुलाब का लिली का, नई पुरानी दिल्ली का। सबसे सुन्दर हिस्सा है, उसी जगह का किस्सा है। सांझ… Continue reading तोता एंड मैना / ओम प्रकाश ‘आदित्य’
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इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं / ओम प्रकाश ‘आदित्य’
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है जवानी का आलम गधों के लिये है ये रसिया, ये बालम गधों के लिये है ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिये है ये संसार सालम… Continue reading इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं / ओम प्रकाश ‘आदित्य’